Pakistan Political Crisis Explained in hindi
पाकिस्तान, अमूमन हमारे देश में सबसे ज्यादा प्रचलन में रहने वाले शब्दों में से एक है। और जब बात पाकिस्तान में राजनीतिक उठापटक की हो तो ऐसे में पाकिस्तान तमाम चर्चा के विषयों में सबसे ऊपरी क्रम में नजर आता है। ऐसा ही एक बड़ा सियासी उपक्रम पिछले दिनों पाकिस्तान में देखने को मिला। पिछले कुछ दिनों से लगातार सवालों के घेरे में रही पाकिस्तान की इमरान खान (Imran Khan) सरकार की विदाई पर रविवार और सोमवार की रात को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के साथ ही मोहर लग गई।
इमरान खान (Imran Khan) पाकिस्तान के दिग्गज क्रिकेटर और एकमात्र विश्व विजेता कप्तान हैं। पाकिस्तान में हुए पिछले आम चुनाव से पहले तक इमरान खान (Imran Khan) को वैश्विक पटल पर इसी परिचय से जाना जाता था। साल 2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए, जिसमें पाकिस्तानी अवाम ने भ्रष्टाचार से घिरी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) और उनके भाई शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ (Pakistan Muslim League Nawaz or PML-N) और वंशवाद से ग्रसित दिवंगत प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो (Benazir Bhutto) के बेेटे बिलावल भुट्टो ज़रदारी (Bilawal Bhutto Zardari) की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (Pakistan Peoples Party or PPP) को दरकिनार कर इमरान खान (Imran Khan) की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf) को उम्मीद की किरण के रूप में देखा।
(Prime Minister of Pakistan)
2018 के चुनाव में इमरान खान (Imran Khan) ने राष्ट्रवाद और भारत के प्रति नफरत वाली विचारधारा के साथ चुनाव लड़ा। और ऐसा लड़ा कि उन्हें इस चुनाव कुल 342 सीटों में से 155 सीटों पर जीत मिली। तुलनात्मक रूप से यह एक ऐतिहासिक जीत थी क्योंकि इससे पहले के आम चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानि PTI के खाते में महज 35 सीट आईं थीं। इसके अलावा शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की PML(N) को 84 और भुट्टो की PPP को 56 सीटों से संतोष करना पड़ा।
155 सीटों के बाद भी इमरान खान (Imran Khan) बहुमत के आंकड़े यानि 172 से दूर रह गए। ऐसे में उन्होंने कुछ छोटे दलों और निर्दलीयों के साथ मिलकर सत्ता हासिल करने के लिए 178 का आंकड़ा हासिल कर लिया। ये तो बात हुई 2018 के चुनावों की। तब से लेकर अब तक पाकिस्तान की इस गठबंधन सरकार को कई मौकों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसी दौरान पाकिस्तान के आर्थिक हालात बद से बदतर होते चले गए। ऐसे ही कुछ मुद्दों को देखते हुए पाकिस्तान में मौजूद कुछ विपक्षी पार्टियों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिव मूवमेंट (Pakistan Democratic Movement or PDM) नामक एक गठबंधन बनाया। जो देश में उठ रहे तमाम लोकतांत्रिक मुद्दों पर मुखर रहा और इमरान सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करता रहा। इन मुद्दों में बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी जैसे बड़े विषय शामिल थे।
(who is the prime minister of Pakistan 2022)
इस मूवमेंट के बढ़ते वर्चस्व को इमरान सरकार तब तक झुठलाती रही जब तक मार्च 2022 में इस गठबंधन ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग नहीं की। अविश्वास प्रस्ताव की मांग उठने के बाद इमरान सरकार ने बौखलाहट में सशस्त्र बलों की मदद से विपक्ष के सासंदों को जबरन जेल भेजने तक का प्रयास किया। लेकिन वे विरोध की आवाजों को दबा नहीं सके।
पाकिस्तान की राजनीति की सामान्य समझ रखने वाले भी जानते हैं कि पाकिस्तान में किसी भी पार्टी की सरकार सेना की मदद से चलती है। इमरान सरकार को भी सेना का समर्थन प्राप्त था। ऐसे में जब विरोधियों को हावी होता देख इमरान सरकार ने सेना से मदद मांगनी चाही तो सेना ने परिस्थितियों को भांपते हुए हाथ खड़े कर दिये। अब तक इमरान खान की पार्टी के भीतर के बागी भी निकल कर सामने आना शुरू हो गये थे। इमरान खान (Imran Khan) ने हर तरीके से भितरघात को दबाने की भी कोशिश की, लेकिन बात नहीं बननी थी सो नहीं बनी।
(new PM of Pakistan 2022)
अपनी पार्टी के बागियों को इमरान अब तक शांत भी नहीं कर पाए थे कि गठबंधन और इमरान सरकार के सहयोगी घटकों ने भी इमरान सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी। अपना कोई भी दांव सही होता ना देख इमरान खान ने विदेशी ताकतों को उनकी सरकार के लिए खतरा बताया। इमरान खान ने तर्क दिया कि उनके रुस दौरे के कारण अमेरिका उनकी सरकार को गिराने की साजिश कर रहा है। इस तर्क को अमेरिका और पाकिस्तान के विपक्ष दोनों ने खारिज कर दिया।
तमाम दांव-पेंच के बाद 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव (motion of no confidence in Pakistan) पर मतदान के लिए तय किया गया। तमाम विपक्षी दल पहुंचे लेकिन इमरान खान असेंबली में नहीं पहुंचे। इसके बाद असेंबली के स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद-5 का हवाला देते हुए विदेशी साजिश की आशंका जताते हुए अविश्वास प्रस्ताव (motion of no confidence in Pakistan) को रद्द कर दिया।
इस प्रस्ताव के रद्द होते ही इमरान खान ने राष्ट्रपति की सहायता से मौजूदा असेंबली को रद्द कर पाकिस्तान में 90 दिनों में फिर चुनाव का आदेश पारित करवा दिया। इमरान खान (Imran Khan) अब तक के खेल में बढ़त बनाते हुए सरकार बचाने में कामयाब होते नजर आ रहे थे।
लेकिन इस का की उम्मीदों को बड़ा झटका तब लगा जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए असेंबली भंग करने के फैसले को गैर संवैधानिक करार दिया और 9 अप्रैल की तारीख को अविश्वास प्रस्ताव (motion of no confidence in Pakistan) पर मतदान के लिए तय कर दिया। 9 तारीख को वही हुआ जिसकी पृष्ठभूमि पिछले एक महीने से पाकिस्तान के विपक्ष द्वारा तैयार की जा रही थी। इस मतदान में इमरान सरकार के खिलाफ 174 वोट डाले गए, जिसने इमरान खान को बाहर का रास्ता दिखाया।
इसके साथ ही इमरान खान (Imran Khan) पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने जो अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा प्रधानमंत्री पद से हटाए गए। अब तक के सभी प्रधानमंत्री सैन्य दबाव, भ्रष्टाचार और हत्या जैसे कारणों से पदच्युत हुए थे।
इस सारे घटनाक्रम के बाद विपक्षी दलों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) को प्रधानमंत्री पद (23rd prime minister of Pakistan) के लिए चुना गया है। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) का भारत के प्रति रवैया कैसा रहेगा।
इसका अंदाजा उनके एक पोस्ट से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा दी गई बधाई का जवाब दिया है। इस पोस्ट में शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने कश्मीर की शांति को भारत-पाकिस्तान रिश्तों के लिए अहम बताया है। जिससे साफ है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री कोई चाहे कोई भी हो, पाकिस्तान का एजेंडा कश्मीर ही रहेगा ना कि भारत के साथ सकारात्मक राजनयिक संबंध।
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