Web Series Review - The Railway Men

The Railway Men Review In Hindi

 “शहर से गैस चली गई है… पर यहां अब भी नकाब पहनना पड़ता है।” 

इस संवाद के ठीक बाद स्क्रीन पर एक फुटबॉल खेलता लड़का दिखता है, जो विकृत है शारीरिक और शायद मानसिक भी। दृश्य पलटता है और दीवार पर लिखा नजर आता है ‘गैस पीड़ित विधवा कॉलोनी’। शहर का नाम भोपाल है।


इस शहर में हर दूसरे चौराहे पर तालाब और लगभग हर कूचे में गैस लीक के स्याह धब्बे मिल ही जाएंगे। ये जिक्र इसलिए, क्योंकि Netflix पर एक वेब सीरीज आ पहुंची जिसका नाम है The Railway Men. इसके केन्द्र में भोपाल शहर और इसकी गैस त्रासदी है।


The Railway Men Review In Hindi

यह घटना और सीरीज की कहानी 1984 की है। पूरे देश ने अभी एक महीने पहले ही देश की सबसे ताकतवर महिला को खोया है। भोपाल शहर ठीक ठाक चलने लगा है लेकिन सही ढंग से नहीं चल पा रहा शहर के बीचों बीच लगा केमिकल  बनाने वाला यूनियन कार्बाइड प्लांट। प्लांट की रक्त वाहिनियां यानि पाइपलाइन जर्जर हो चुकी हैं जिनसे होकर हर रोज सैकड़ों टन जहरीली गैसें गुजरती हैं। 3 और 4 दिसंबर की रात इन पाइप लाइन का सब्र जवाब दे जाता है। प्लांट की सीमाओं को तोड़कर जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट भोपाल की हवा से जा मिलती है। 


इसके बाद एक चलता फिरता इंसान कैसे कुछ ही देर में मुर्दा बन जाता है इसे The Railway Men में दिखाया गया है। सीरीज हमें भोपाल स्टेशन के हवाले से कहानी सुनाती है। सीरीज की सबसे अच्छी बात यही है कि वह पूरे शहर की बजाय केवल स्टेशन को केन्द्र में रखकर कहानी कहती है। कहानी के हर किरदार के तार कहीं ना कहीं स्टेशन से जुड़े ही हैं। खास बात यह है कि इसके बाद भी कहानी पूरे शहर के हालात से हमें रूबरू करा देती है। 

The Railway Men Review In Hindi

सीरीज की लेंथ ज्यादा बड़ी नहीं हैं। कहानी कम वक्त में ज्यादा बात कहती है। बिल्ड अप और घटना के बाद की चीजों को ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं दिया गया है। The Railway Men कुछ एक बड़े किरदारों तक सीमित नहीं रहती। कहानी के एक से ज्यादा नैरेटर हैं। इसके अलावा छोटे छोटे किरदारों में जाने माने एक्टर रखे गए हैं जो कहानी को रोचक बनाते हैं। यह भी पढ़ें Tiger 3 Movie Review in Hindi

The Railway Men की एक अच्छी बात ये भी है कि ये जल्दी Survival को दिखाना शुरू कर देती है। आम सीरीज की तरह शुरू में बोर नहीं करती। कुछ सब प्लॉट्स को जगह जरूर दी गई लेकिन वे सभी कहानी के बीच में आते-जाते हैं, जो दर्शक को गैर जरूरी नहीं लगते। इमोशनल मोमेंट्स को जबरदस्ती क्रिएट नहीं किया गया जो जरूरी है वही दिखता है।

 

सिनेमा की आंखों से देखा जाए तो 1984 के हिसाब से सिनेमेटोग्राफी ज्यादा मॉर्डन लगती है। भोपाल पर फिल्माए गए ड्रोन शॉट्स बहुत ज्यादा आधुनिक हैं। रेल के डिब्बे और पुराने रेल्वे इन्फ्रा के अलावा कम चीजें हैं जो उस दौर में ले जाती हैं। बाकी फिल्म का स्क्रीनप्ले ज्यादा सस्पेंस या उलझनों का सहारा नहीं लेता। डायलॉगबाजी से ज्यादा इमोशन पर जोर है। 

The Railway Men Review In Hindi

The Railway Men में एक्टर्स की लिस्ट बहुत लंबी है। सभी बड़े बड़े नामों को बस देखा जाए तो भी एक दो नाम छूट सकते हैं। Kay Kay Menon सबसे ज्यादा दिखने वाले किरदार में हैं। जो अतीत से जूझ रहा है। उसमें भोपाली अदब है और ईमान भी। Kay Kay Menon इसे सहजता से सामने रखते हैं। R Madhvan देरी से आते हैं लेकिन कहानी को ऊर्जा देने का काम करते हैं। यह भी पढ़ें Pippa Review in Hindi


Divyenndu का किरदार एक डकैत का है। वह इमोशनल मोमेंट पर भी अल्हड़पन को बनाए रखते हैं जो Mirzapur की याद दिलाता है। Babil Khan के बात करने का ढंग, उनके हाव भाव बेहतरीन है। वह पूरे ठेठ भोपाली लगते हैं।  Sunny Hinduja पत्रकार की भूमिका में जो कहानी कई पहलुओं को दिखाता है। वह भी बढ़िया लगते हैं। 


Dibyendu Bhattacharya, Raghubir Yadav और Sunita Rajbhar छोटे छोटे किरदारों में बड़ी बड़ी बात कह जाते हैं। इनका स्क्रीन टाइम कम है लेकिन अपने अभिनय से ये किरदार को बड़ा बनाते हैं। इसके अलावा कई और छोटे किरदार हैं। जो कहानी को मजबूत बनाते हैं। कुछ अच्छे कैमियो भी हैं।  


भोपाल गैस त्रासदी की इस घटना में करीब 15000 हजार लोगों ने जान गंवाई थी। कारण क्या थे ? इन मौतों के बाद इनके जिम्मेदारों का क्या हुआ यह जानने के लिए सीरीज को देखना चाहिए।


- सत्यम ( insta- @satyam_evjayte)

Post a Comment

0 Comments