Sam Bahadur Review in Hindi
Sam Manekshaw भारतीय सेना चीफ और पहले फील्ड मार्शल थे। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म SAM Bahadur इन्हीं की जिंदगी की बायोपिक है। फिल्म में Vicky Kaushal ने Sam Manekshaw का किरदार निभाया है। Meghna Gulzar ने फिल्म को डायरेक्ट किया है।
क्या बोलती कहानी !
Sam Manekshaw की कहानी उनके ट्रेनिंग के दिनों से शुरू होती है। दौर 1933 का है। अंग्रेजों के दौर में शुरू होकर भी कहानी गुलामी वाले पीरियड पर ज्यादा फोकस नहीं करती है। आजादी से पहले का सिर्फ Second World War ही मेजर इवेंट बनता है। यह भी पढ़ें Animal Review In Hindi
बंटवारे को कुछ डायलॉग्स और आजादी को नेहरू के ऐतिहासिक भाषण में समेट दिया जाता है। 1948 में हुई कबाइलियों की लड़ाई और 1962 का चीन युद्घ आगे कहानी में दिखाए जाते हैं। 1971 के युद्ध को क्लाईमैक्स में रखकर Sam Bahadur खत्म हो जाती है।
फोकस से नहीं हटती फिल्म
Vicky Kaushal और आर्मी यूनिफॉर्म देखकर यदि आप Sam Bahadur से Uri जैसा कुछ एक्सपेक्ट कर रहे हैं, तो आपको जानकर दुख होगा कि ये फिल्म ऐसा कुछ Fulfill नहीं करेगी। इसमें Creative Liberty और मसाला जैसी चीजें कम ही ली गई हैं।
Sam Bahadur में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जो मुख्य किरदार से बढ़ी होती दिखती हो। कहानी बंटवारा, आजादी से लेकर कहानी 71 जैसी लड़ाईयां भी दिखा देती है लेकिन कभी Sam Manekshaw से फोकस नहीं हटाती।
मिर्च मसाले की उम्मीद मत रखिए
हिंदी फिल्मों में किसी किरदार को बड़ा दिखाने के लिए अक्सर बचपन के सीन्स या युद्ध के सीन्स में लीड कैरेक्टर को लेकर कुछ हिटिंग सीक्वेंस डाले जाते हैं। लेकिन Sam Bahadur कहीं भी ऐसा नहीं करती।
इसका क्रेडिट Meghna Gulzar की फिल्मोग्राफी को जाता है। वे इमोशनल सीन क्रिएट नही करतीं बल्कि सीन क्रिएट करके दर्शक को इमोशन में लाती हैं। लगभग ऐसे ही टॉपिक पर बनी उनकी फिल्म Raazi में हम ये देख चुके हैं।
फिल्म के डायलॉग अच्छे हैं और हिट भी करते हैं। म्यूजिक जितना है ठीक है। पेस और स्क्रीनप्ले भी ठीक है। लेकिन कहानी टुकड़ो में बोर करने लगती है। जिससे ध्यान भटकता है। यह भी पढ़ें The Railway Men Review In Hindi
Vicky Kaushal हैं या Sam Manekshaw
Sam Bahadur में Vicky Kaushal ने जिस ढ़ंग से Sam Manekshaw के किरदार को स्क्रीन पर उतारा है उसने रील और रियल के अंतर को बहुत माइनर कर दिया है। हूबहू अंदाज में चलना डायलॉग डिलेवरी सब के सब टॉप हैं। पूरी टीम की मेहनत नजर आती है।
प्लस- माइनस और Recommendation
Sam Bahadur की सबसे बड़ी अच्छाई और कमी यही है कि फिल्म बहुत हद तक VIcky पर ही डिपेंड करती है। आस-पास के एक्टर्स से उन्हें खासा सपोर्ट नहीं मिला है। Fatima Sana Shaikh इंदिरा के किरदार में बेहद कमजोर हैं। उनके किरदार को थोड़ा मजबूत और इम्पेक्टफुल बनाया जा सकता था।
Zeeshan Ayyub बिना मेकअप के अच्छे लगते हैं लेकिन मेकअप करके उनकी रियलिटी को छुपा दिया गया है। Sanya Malhotra केवल होने के लिए हैं, उनके पास कुछ करने को नहीं है। बाकी सपोर्टिंग भी कुछ खास नहीं है।
विकी कौशल के लिए फिल्म देख सकते हैं। इसके अलावा बायोपिक का शौक है तो शौक से जा सकते हैं। पैसा वसूल नहीं है तो पैसे खराब भी नहीं होंगे।
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