Movie Review : KGF Chapter 2 , उम्मीदों पर कहां तक खरी उतर पाई KGF Chapter 2 कहानी

KGF Chapter 2 Movie Review in Hindi

'' मैं हमेशा जंग टालने की कोशिश करता हूं, लेकिन अगर जंग हुई तो जीतूंगा तो मैं ही। '' 
आज से करीब साढ़े तीन साल पहले 21 दिसम्बर 2018 को एक कन्नड़ भाषी फिल्म KGF Chapter 1 रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने हिंदी भाषी क्षेत्र के दर्शकों के बीच कन्नड़ इंडस्ट्री की छवि को बदल कर रख दिया था। इस फिल्म ने मास एंटरटेनर फिल्मों की परिभाषा को बदल कर रख दिया। 



फिल्म की लोकप्रियता ऐसी थी कि लोग इस दूसरे पार्ट को देखने के लंबे समय से इंतजार कर रहें थे। लेकिन महामारी के बीच कई बार इस फिल्म के रिलीज को टालना पड़ा। आखिरकार 14 अप्रैल 2022 को KGF Chapter 2 को सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया। 

KGF Chapter 2 Movie Cast

फिल्म की कास्ट की बात की जाए तो कास्ट पहले पार्ट से ज्यादा कुछ परिवर्तित नहीं है। फिल्म में कुछ नए किरदार जुड़े हैं। जिनमें कथाकार के रूप में अब प्रकाश राज हैं। वहीं संजय दत्त और रवीना टंडन नये किरदारों में उल्लेखनीय हैं।

KGF Chapter 2 की कहानी की शुरूआत KGF Chapter 1  के सिरों को पकड़ते हुए होती है। एक ओर KGF के अन्य हिस्सेदार गरूड़ा की मौत के बाद उसके छोटे भाई विराट को उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में हैं तो वहीं दूसरी ओर राॅकी नाराची ने लोगों में विश्वास और हौंसला भरकर उन्हें फिर से खड़ा करने की तैयारी में है। नाराची के अंदर बहुत सी चीजें बदल चुकी गरूड़ा के शासन के अंत के साथ ही वहां के लोगों को स्वाभिमान से जीने की एक उम्मीद मिली हैं।  

KGF Chapter 2 Movie Plot & Story



कहानी की औपचारिक शुरुआत दसवें मिनिट में केन्द्रीय पात्र यानि राॅकी या Rocking Star Yash की एंट्री के साथ होती है। अब तक केजीएफ के साझेदार समझ चुके होते हैं कि गरूड़ा को मारने के लिए छोड़ा गया सांप अब उनकी जान के लिए आफत बन चुका है। पहले आधे घंटे में KGF Chapter 1 की झलकियों के दोहराव के साथ राॅकी के नए साम्राज्य का शक्ति प्रदर्शन को स्क्रीन पर परोसा जाता है। साथ ही कुछ नए किरदारों को भी कहानी में खड़ा किया जाता है। 

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कहानी के लगभग 40वें मिनट में KGF Chapter 2 के प्रमुख खलनायक अधीरा यानि Sanjay Dutt कहानी में अपने पैर जमाना शुरू करते हैं। अगले कुछ मिनटों में कहानी तेज रफ्तार से दौड़ती नजर आती है। और जब तक कहानी ठहराव की स्थिति में आती तब तक खलनायक, नायक पर हावी होता नजर आता है। 

लेकिन कहानी जल्दी ही नयी ऊर्जा का साथ आगे बढ़ती है और मध्यांतर तक नायक फिर से ड्राईविंग सीट पर लौट आता है। लगभग डेढ़ घंटे की अवधि के बाद कहानी साल 1981 के चुनाव में पहुंचती है इन चुनावों नतीजों के बाद फिल्म एक और पात्र रमिका सेन यानि Raveena Tondon से दर्शकों का परिचय करवाती है। अब कहानी में सोने की लड़ाई के साथ राजनीति के दांव पेंच भी देखने को मिलते हैं। 

जब तक रमिका सेन अपने अपने किरदार की भुजाओं को फैलाती हैं तब तक क्लाईमेक्स के दरवाजे खुल जाते हैं। अंत की ओर बढ़ते हुए अधीरा दोगुनी ताकत से लौटता है। ऐसे में कहानी त्रिशंकु बन जाती है। तो क्या अंत तक राॅकी अपनी साम्राज्य शक्ति को कायम रख पाएगा, क्या अधीरा अपनी परंपरागत सत्ता पर फिर काबिज हो सकेगा, या इस बंदरबांट मे रमिका अपने राजनीतिक दांव पेंच से KGF का साम्राज्य को ध्वस्त कर देंगी। या फिर मेकर्स बड़ी समझदारी कहानी के बहाव को तीसरे सीजन की ओर मोड़ देंगे। 

सवाल कई है लेकिन जवाब एक ही है सिनेमाघर का टिकट और पौने तीन घंटे। 

KGF Chapter 2 Movie Review



ये तो बात हुई फिल्म की कहानी की अब रिव्यू की बात की जाए तो कहानी को पूरी तरह से नायक केन्द्रित रखा गया जो कि हर तरह से सफल रही है। लेकिन फिल्म की राईटिंग और पहले पार्ट के बाद उपजी दर्शकों की लालसा महत्वाकांक्षा पर खरी उतरती नजर नहीं आती हैं। फिल्म में हाथियारों से अलग अलग कैमरा एंगल से फिल्म भव्य बनाने की कोशिश की गई है लेकिन लेखन में कहानी बुरी तरह मात खा जाती है। 

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जहां पहले पार्ट कुछ देर के बाद एक जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलता था वहीं दूसरे पार्ट में इन्हें अंगुलियों पर गिना जा सकता है। अधीरा के किरदार की बाहरी साज सज्जा जितनी बेहतर है यदि किरदार का आंतरिक पक्ष उतना ही मजबूत होता तो बात कुछ हो सकती थी। ऐसा ही कुुुछ रमिका सेन के किरदार के साथ दिखाई देता है। उनका किरदार भारतीय राजनीति की लौह महिला से प्रेरित है। लेकिन सिर्फ कुछेक संवाद के अलावा इस किरदार कुछ खास जान नहीं डाली गई है। 

इसके अलावा कहानी में एक लव स्टोरी वाले एंगल को भी रखा गया है जो बीच बीच में आकर कहानी के प्रवाह को प्रभावित करता है। नायक और नायिका के बीच फिल्माए गए कुछ दृश्य कहानी को उबाऊ बना देते हैं। लेकिन कहानी ने अपने भावनात्मक पक्ष को मजबूत बनाए रखा है। कुछ जोरदार एक्शन सीन्स के बाद इमोशनल सीन का आना दर्शकों को बांधे रखता है। 

कुल मिलाकर KGF Chapter 2 एक मास एंटरटेनर तो है लेकिन यह चैप्टर पहले चैप्टर की अपेक्षा कमजोर नजर आता है या यूं कहे कि मेकर्स लोकप्रियता के चलते दबाव में नजर आए। कहानी साढ़े तीन साल के इंतजार के साथ न्याय करती नजर नहीं आती लेकिन फिल्म को एक बार तो जरूर देखा जा सकता है। 

- सत्यम सिंघई

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