Guns & Gulaabs Review in Hindi
हम झूठ बोलते रहते हैं क्योंकि उसमें हमारा फायदा होता है… और फिर एक दिन सच बोल देते हैं… क्योंकि तब उसमें भी हमारा फायदा होता है।
ऊपर लिखा डायलॉग Netflix पर हालिया स्ट्रीम वेब सीरिज Guns & Gulaabs से है। सीरिज गैंगवॉर वाली भी है और कॉमिक टाइमिंग वाली भी। आसान भाषा में समझना हो तो महज इतना जान लीजिए कि वेब सीरिज Raj & DK की है। और Raj & DK का सिनेमा यदि आपने देखा है तो आप समझ गये होंगे कि कहानी किस तरीके की होगी। ऊपर के डायलॉग पर मत जाइए वो केवल शुरुआत जमाने के लिए है।
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फिल्म की कहानी गुलाबगंज में बेस्ड है, जो काल्पनिक शहर है लेकिन लोकेशन से पता चलता है हिमाचल का कोई हिस्सा है। अपने ढंग से बताऊं तो कहानी अफीम के आस पास ही घूमती है। गुलाबगंज अफीम का गढ़ है और इस अफीम पर राज है गांची यानि Satish Kaushik का। इनका एक बेटा भी है जुगनू AKA छोटा गांची यानि Adarsh Gaurav.
कहानी की शुरुआत में गांची, ड्रग माफिया सुकान्तो से एक अफीम डील करता है। और यहां से शुरू होता है अफीम की गाठजोड़ का सिलसिला। इस बीच गांची को रोकने के लिए रिबेल गैंग नबीद का एक्सपोर्टेड गैंगबाज 4 कट आत्माराम यानि Gulshan Devaiah, नव नियुक्त नारकोटिक्स ऑफिसर अर्जुन यानि Dulquer Salmaan बारी बारी से सामने आते हैं। अफीम किसकी होगी, डील कौन करेगा यही कहानी का सिरदर्द है।
कुछ सब प्लॉट्स भी जिनमें सबसे असरदार पाना टीपू यानि राजकुमार राव का है। एक अन्य प्लॉट में स्कूल का बैकड्रॉप है। दोनों प्लॉट कहानी से हिसाब से जरूरी हैं।
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Guns & Gulaabs गोलियों की तड़तड़ाहट से शुरू होती है लेकिन पहला मुकम्मल मर्डर होता है रामपुरी के मुक्ति वाले चार कट्स से। ये स्वागत का तरीका है राज एंड डीके की सिनैमेटिक दुनिया में। इससे पहले Raj & DK, Farzi और Family Man जैसी वेब सीरिज बना चुके हैं। Guns & Gulaabs में भी अपने जाने पहचाने अंदाज में ही बात को आगे बढ़ाते हैं।
Guns & Gulaabs पहले किरदारों से परिचय ना करवा कर कहानी के मूल से परिचय करवा देती है। फिर किरदार आते रहते हैं और अपनी जगह ढूंढते जाते हैं। ये भी कहानी कहने का नया तरीका है। कई जगह ऐसा लगता है कि वॉयस ऑवर की जरूरत है लेकिन बहुत कायदे से मेकर्स अपनी बाद डायलॉग्स में ही कह देते हैं।
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कहानी उस दौर की है जब मोटरसाइकल में मोपैड और मोहब्बत में खतों का दौर चल रहा था। 90’s और Early 2000 बहुत अच्छे से दर्शाया गया है। क्रिकेट और एक-दो राजनीतिक व्यंग्य इस बात पर और जोर देते हैं। फ्लैशबैक का इस्तेमाल भी सीखने जैसा है।
कहानी का एक पैर स्कूल में रूका पड़ा है। पहले देखकर ऐसा लगता है इस गैंगवॉर के बीच स्कूल का क्या काम। लेकिन कहानी हर किरदार से कुछ कहने की कोशिश करती है। Jo का किरदार फेमिनिज्म की झलक दिखाता है तो नन्नू का किरदार आज के Aesthetics मोड की याद दिलाता है।
एक लव स्टोरी भी है जिसमें टीपू और चंद्रलेखा है। लव स्टोरी कहानी को चलाने और मिजाज में कुछ नयापन लाने के लिए है। जो काम क्राइम थ्रिलर या इस तरीके की सीरिज में पॉलिटिक्स करती है यहां वो काम लव स्टोरी से पूरा किया गया है। कॉमिक टाइमिंग्स की कोई कमी नजर नहीं आती है।
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Guns & Gulaabs में से कमियां पर बात करना कठिन है। ये स्टोरीटेलिंग का अलग ढंग इसे एन्जॉय करना जरूरी है। ट्विस्ट और टर्न्स की भरमार परेशान कर सकती है। कुछ किरदार बहुत देर तक स्क्रीन से गायब रहते हैं उन्हें और दिखाने की जरूरत थी। जैसे आत्माराम के भीतर की कहानी हम नहीं जानते, राजकुमार राव का सीरियस मोड बहुत जल्दी ऑफ हो जाता है। एडिटिंग का काम जोरदार है। ग्राफिक्स और Illustration इंटरेस्टिंग है।
Guns & Gulaabs की कहानी बढ़िया है लेकिन उसे और बेहतरीन बनाती है एक्टिंग। जहां एक से बढ़कर एक दिग्गज देखने को मिले हैं। पहले बात दिवंगत सतीश कौशिक जी की। Satish Kaushik पहले हिस्से में दिखे हैं उनके पास बेहतरीन डायलॉग हैं और ओटीटी पर उनका लगभग हर किरदार एक जैसा ही रहा है, यहां भी ऐसा ही है।
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Dulquer Salmaan और Rajkummar Rao से पहले बात Gulshan Devaiah की करना जरूरी है। अफीम के बाद सीरिज सबसे बड़ा एट्रेक्शन पॉइंट कोई है तो वो है Gulshan Devaiah का 4 Cut Aatmaram का किरदार। संजय दत्त जैसा हेयर स्टाइल, सोने का दांत से लेकर यमाहा तक इस किरदार पर अच्छी मेहनत की गई है जो नजर भी आती है। किरदार लेयर्ड है इसके और जानने की रूचि बनी रहती है।
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कहानी के हिसाब से Dulquer Salmaan नारकोटिक्स अफसर के रोल में सादगी भरे लगे हैं। लेकिन उनका किरदार कहानी के नजरिए violent होना चाहिए था। उनका किरदार अहम है लेकिन स्क्रीन पर उतना नजर नहीं आता। Adarsh Gaurav सीरिज का वो हथियार हैं जिन्हें अगले भागों के लिए बचाकर का रखा गया है। उनके पास इम्पैक्ट छोड़ने के लिए बहुत बड़ा तो कुछ नहीं है पहले सतीश कौशिक की शेड्स छुपे रहते हैं। फिर बाहर आते जरूर लेकिन दो चार सीन के अलावा याद रखने जैसा कुछ नहीं है।
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Rajkummar Rao ने टीपू पाना का किरदार जिंदा किया है। वह ऑवरऑल कॉमिक रहें है लेकिन मजाक मजाक में सीरियस मोड अपने नाम कर ले गए हैं। उनके चलने का अलग अंदाज इफेक्ट छोड़ता है। उनके अलावा उनके दोस्त बंटी और सुनील की भूमिका निभाने वाले एक्टर और शेरपुर के मनीष का स्पेशल मेन्सन बनता है।
TJ Bhanu मात्र लव स्टोरी को जारी रखने का दूसरा सिरा नहीं बनी है बल्कि उनके पास अपना हुनर दिखाने का मौका भी है। चाइल्ड एक्टर्स में सभी बढ़िया है लेकिन गंगाराम बात करने लायक जैसा किरदार है।
इसके अलावा सुकान्तो, महेन्द्र, एसपी मिश्रा और कुछ ऐसे किरदार हैं जो छोटे लेकिन मजेदार हैं।
Written By- Satyam Singhai (Follow On Insta- @satyam_evjayte)
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