Web Series Review - Scam 2003 : The Telgi Story

 दुनिया का सबसे बड़ा सच, मरते हुए आदमी की आंखों में होता है…”

Scam 1992 : The Harshad Mehta Story की भंयकर सक्सेस के बाद Hansal Mehta एक और घोटालेबाज की कहानी के साथ लौट आए हैं। इस बार कहानी है Abdul Karim Telgi की और नाम है Scam 2003. फिल्म का पहला डायलॉग ही बता देता है कि Scam 2003, Abdul Karim Telgi के सपनों की कहानी है। 



Scam 2003 ओरिजिनली जर्नलिस्ट संजय सिंह की किताब 'Telgi : Ek Reporter Ki Diary' पर बेस्ड है। इसी साल सितंबर की पहली तारीख को Scam 2003 : The Telgi Story का पहला हिस्सा रिलीज किया गया था। कहानी का ये हिस्सा Abdul Karim Telgi के कैरेक्टर बिल्ड अप को दिखाता है। यह भी पढ़ सकते हैं  Jawan Movie Review in Hindi


कहानी खानापुर के रेल के डिब्बे में फल बेचने वाले से शुरू होकर स्टाम्प टिकट और फर्जी स्टाम्प पेपर चुराने से लेकर स्टाम्प पेपर छापने तक पहुंच चुकी है। पहला वॉल्यूम जहां Abdul Karim Telgi के नीचे से ऊपर जाने की और स्कैम को रचने की कहानी बताता है वहीं दूसरे वॉल्यूम का ज्यादातर समय जेल की सलाखों के पीछे और वर्दी के साये में बीतता है। 


दूसरे वॉल्यूम की कहानी को प्रिडिक्ट आसानी से किया जा सकता है। यदि आपने Scam 2003 के बारे में थोड़ी सी रिसर्च की है तो आप जानते ही होंगे कि कहानी के सिरे किस ओर खुलने वाले हैं। 



Scam 2003 की कहानी और कहने का अंदाज बहुत हद तक Scam 1992 से मेल खाता है। वही Voice Over के साथ कहानी का आगे बढ़ना और स्लो पेस में लगभग एक जैसी सिनेमेटोग्राफी के साथ कहानी को दिखाया जाता है। हालांकि दोनों सीरीज के डायरेक्टर अलग हैं लेकिन Hansal Mehta का इन्फ्लूएंस सीरीज में साफ नजर आता है। 


Scam 2003 पर यदि Scam 1992 की लेगेसी को संभालने का दवाब नहीं होता तो शायद अपने आप यह एक कंप्लीट सीरीज मानी जा सकती थी। लेकिन पिछली बार के मुकाबले कई मायनों में कहानी पिछड़ जाती है। सबसे बड़ी कमी लगती है सब प्लॉट्स की।  यह भी पढ़ सकते हैं Dream Girl 2 Movie Review in Hindi


Scam 1992 में Harshad Mehta के इर्द-गिर्द कई ऐसे कैरेक्टर बिल्ड किये गए थे जो कहानी को एकतरफा होने से बचा ले गए थे। जिनमें सुचिता दलाल और सीबीआई जैसे कैरेक्टर शामिल थे। वहीं Scam 2003 बहुत हद तक Telgi के अकेले की कहानी लगती है। साइड कैरेक्टर रखे गये हैं लेकिन उन पर ज्यादा मेहनत नजर नहीं आती। जबकि कई किरदारों को और मजबूती से दिखाया जा सकता था। 


कहानी के डायलॉग भारी भरकम हैं. एक के बाद एक कई पंचलाइन आपको बांध कर सकती हैं। लेकिन कहानी का बिखरा स्क्रीनप्ले, थोड़ा सा उलझा देता है। सीरीज में जल्दी-जल्दी शहरों का बदलना, डेटलाइन का एक के बाद एक स्क्रीन पर आना थोड़ा सा कन्फ्यूजन भी क्रिएट करता है। यह भी पढ़ सकते हैं Guns & Gulaabs Review in Hindi


एक्टिंग, सीरीज का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है. Gagan Dev Riar एक्टिंग के मामले में Pratik Gandhi को कड़ी टक्कर देते नजर आते हैं। उनका चलने का अंदाज, कमर पर हाथ रखकर खड़ा होना और डायलॉग डिलीवरी जानदार है। आखिरी एपिसोड में जब Abdul Karim Telgi के असली इंटरव्यू को दिखाया जाता है तब आप देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि Gagan Dev Riar ने अपने किरदार पर कितनी मेहनत की है। 



Karim की पत्नी बनी Sana Amin Sheikh ने दोनों हिस्सों में अपने पार्ट को सही निभाया है। इसके अलावा सलीम यानि Abhinay Bansod और वकील बने Nikhil Ratnaparkhi ने भी ठीक काम किया है। 


पहले वॉल्यूम में कौशल के किरदार में Hemang Vyas और जेके के किरदार Shashank Ketkar का काम देखने लायक है। मधुसूदन मिश्रा बने Vivek Mishra ने भी सही एक्टिंग की है। हालांकि दूसरे हिस्से में इन्हें खास जगह नहीं दी गई है। 


दूसरे हिस्से में Mukesh Tiwari की एक्टिंग अच्छी लगती है लेकिन उनके किरदार को टुकड़ो में लिखा गया है। वहीं Dinesh Lal Yadav यानि निरहुआ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। इसके अलावा कुछ साइड कैरेक्टर्स हैं जिन्होंने बढ़िया काम किया है।


कुल मिलाकर अगर दस एपिसोड्स को दिखाने के बीच में दो महीनों का गैप ना रखा जाता तो शायद Scam 2003 : The Telgi Story ज्यादा पॉपुलर हो सकती थी। लेकिन Scam 1992 जैसा ही कुछ ट्रीटमेंट चाहते हो और Hansal Mehta के कंटेंट पर भरोसा है तो इसे देखने में कोई हर्ज नहीं है।


- सत्यम ( insta- @satyam_evjayte)

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1 Comments

  1. बने बनाये ढर्रे पर तो सब लिख लेते हैं. मगर इधर नया एंगल मिल ही जाता है. हर बार की तरह इस बार भी पढ़कर मजा आया.

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