Manish Sisodia और उनकी विवादित Delhi Liquor Policy
Delhi Excise Policy में अनियमितताओं के चलते CBI जाँच के बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत ना मिलती देख, दिल्ली सरकार के उप-मुख्यमंत्री Manish Sisodia ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वे इन दिनों न्यायिक हिरासत में हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के केन्द्र में Delhi Excise Policy रही। तो आइए जानने की कोशिश करते हैं, क्या कहती है ये नीति और आखिर इसमें ऐसा क्या था जिसके चलते Manish Sisodia को अपने पद से हाथ धोना पड़ा।
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ExPlained: Manish Sisodia & Disputable Delhi Liquor Policy |
इस Delhi Excise Policy या Dehli liquor Policy की शुरूआत सितम्बर 2020 में हुई जब दिल्ली सरकार ने पुरानी शराब नीति में हो रहे भ्रष्टाचार और धांधली का हवाला देते हुए, नई शराब नीति लाने का एलान किया।
2021 की शुरुआती तिमाही में दिल्ली कैबिनेट द्वारा Delhi Excise Policy 2021 को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद नीति के प्रारूप को तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल को भेजा गया। जिसके विवेचना में उपराज्यपाल छह बिंदुओ पर पुन: विचार करने को कहा।
दिल्ली सरकार ने बिंदुओं पर संशोधन करके अंततः 17 नवम्बर 2021 को दिल्ली में नयी Delhi Excise Policy लागू करने का एलान किया।
इन बदलावों पर ज़ोर देती Dehli Excise Policy 2021
नई शराब नीति लाने के पीछे दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि इसके माध्यम शराब की कालाबाज़ारी रूकेगी और सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे शराब माफियाओं पर लगाम लगेगी।
Delhi Excise Policy 2021 के पहले तक दिल्ली की लगभग 850 शराब दुकानों में से आधे से ज्यादा दुकानें सरकारी स्वामित्व पर जबकि अन्य दुकानें निजी स्वामित्व पर चलती थीं। इस नए नीति से सभी दुकानों को निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव लाया गया।
राजस्व चोरी रोकने के लिए नाममात्र के VAT के साथ लाइसेंसिंग फीस का प्रावधान लाया गया, जो पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ा दी गई। लेकिन लाइसेंसिंग के नियमों में सरकार के अनुसार ढील दी गई। इस व्यवस्था सरकार का मानना था कि उसके राजस्व में हर साल 20 फ़ीसदी राजस्व का इज़ाफ़ा होगा।
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शराब व्यवसाय में प्रोत्साहन के लिेए Delhi Excise Policy 2021 में विक्रेताओं की खुद से शराब की कीमतें तय करने की छूट दी गई। इसके लिए स्टॉक की कोई भी अधिकतम मात्रा तय नहीं की गई यानि विक्रेता जितनी शराब बेचना चाहे बेच सकता है।
Delhi Excise Policy 2021 के अंतर्गत शराब खरीदने की उम्र 25 से घटाकर 21 कर दी गई। शराब के लिए एयर कंडीशनर शोरूम, आयातित शराब बिक्री दुकानों को एक घंटे अतिरिक्त दुकान खोलने की छूट, Dry Days की संख्या में अन्य राज्यों के मुकाबलें कमी, शराब दुकाने के अलावा रेस्टोरेंट आदि से भी शराब खरीदने की छूट, शराब की होम की डिलेवरी जैसे बिंदु Delhi Excise Policy 2021 में शामिल किए गए।
मुख्य सचिव की वाइल्ड कार्ड एंट्री !
Delhi Excise Policy 2021 अपने पैर ठीक ढंग से पसार ही पाती कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने जुलाई 2022 में उप-राज्यपाल को इस नीति के क्रियान्वयन में बरती गईं खामियों और अनियमितताओं से जुड़ी एक रिपोर्ट सौपीं। और CBI जांच की सिफारिश की।
इसके कुछ दिनों बाद ही उप-राज्यपाल ने मामले की जाँच के लिए CBI को निर्देश दिए। लेकिन CBI हरकत में आती उससे पहले ही Manish Sisodia ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के माध्यम से Delhi Excise Policy 2021 को वापस ले लिया और पुरानी शराब नीति को बहाल करने का एलान किया।
अगस्त 2022 में CBI ने Manish Sisodia समेत कुछ अन्य AAP नेताओं के घर पर छापेमारी की। इसी सिलसिले में हाल ही में Manish Sisodia को गिरफ्तार किया गया और उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
कुछ तो गड़बड़ है? लेकिन कहां !
मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट इस पूरे घटनाक्रम में टर्निंग प्वाइंट रही। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि कोरोना काल में हुए नुक़सान की भरपाई के नाम पर, AAP सरकार ने 144 करोड़ की लाइसेंस फ़ीस माफ़ कर दी। और बिना किसी शुल्क के लाइसेंस की वैधता को 31 जुलाई 2022 तक आगे बढ़ा दिया। आयातित शराब पर लगने वाले शुल्क में भी छूट प्रदान की गई। जिससे राजस्व को नुक़सान पहुँचाया गया।
नियम कहता है कि दिल्ली में पहले से लागू किसी नीति में परिवर्तन के लिए उपराज्यपाल की मंज़ूरी आवश्यक है लेकिन इन फ़ैसलों पर उपराज्यपाल की सहमति नहीं ली गई।
विपक्ष का दावा की इस लाइसेंस फ़ीस को माफ़ करने के एवज़ में ठेकेदारों से कमीशन के तौर पर पंजाब चुनाव में पैसा लिया गया।
किरदार अभी और भी हैं।
जाँच एजेंसियों ने अपनी जाँच में पाया कि पूरे शराब नीति के दौरान के Manish Sisodia और कुछ ठेकेदारों के बीच अवैध लेन देन की बात सामने आई। लेकिन जब अचानक से Delhi Excise Policy 2021 को हटाकर पुरानी नीति को बहाल कर दिया गया तब इन शराब ठेकेदारों के बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। इन ठेकेदारों से एक Dinesh Arora नामक व्यापारी सरकारी गवाह बन गया। जिसकी गवाही के आधार पर ही Manish Sisodia पर अब तक की कार्रवाई की गई।
रिपोर्ट्स की माने तो CBI ने Manish Sisodia को सबूत नष्ट करने और जाँच में सहयोग ना करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वहीं पिछले साल ED यानि प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की एक कोर्ट में दावा किया था कि Manish Sisodia व अन्य साथियों Delhi Excise Policy Scam के दौरान लगभग डेढ़ करोड़ की क़ीमत के 170 मोबाइल फ़ोन का प्रयोग किया और उन्हें नष्ट कर दिया।
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ED का मानना था कि इन मोबाइल फ़ोन में मामले से जुड़े कुछ प्रमुख सबूत मौजूद थे। इतना ही नहीं आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने CBI को बताया कि Manish Sisodia ने Delhi Excise Policy 2021 के प्रारूप के क्रियान्वयन से पहले ही इसके ड्राफ्ट को अवैध तरीके से शराब ठेकदारों तक पहुंचाया था।
बहरहाल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में विश्व स्तरीय शिक्षा प्रणाली लागू करने का दावा करने वाले Manish Sisodia इन दिनों Delhi Excise Policy Scam में बुरे फंसते नजर आ रहे हैं। सच्चाई क्या है और दावों में कितना दम है इसका पता वक्त के साथ लग ही जाएगा।
फ़िलहाल इस पूरे मामले की आड़ में केवल राजनीति चमकाई जा रही है। जहां एक ओर आप बेहतर शिक्षा व्यवस्था का हवाला देकर Manish Sisodia को बचाने का प्रयास कर रही है।
वहीं विपक्ष यानि बीजेपी आप को घेरकर आगामी विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में आप की छवि धूमिल करने में लगी हुई। जबकि बीजेपी शासित कई राज्यों में भी ऐसी ही शराब नीतियाँ कई वर्षों से चली आ रहीं है।
वही एक तबका यह भी कहता है कि बीजेपी और मौजूदा केन्द्र सरकार, सरकारी जाँच एजेंसियों का ग़लत प्रयोग करके लोकतंत्र को कमजोर करने में जुटी है।
खैर लोकतंत्र का रिवाज भी यही है कि बुरे और कम बुरे में से किसी एक को चुनना भी हमें ही है।
-सत्यम
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