Web Series Review : Rocket Boys S02

Rocket Boys S02 Review In Hindi 

We let you win the battle but we won the war.

ज़मीनी और हथियारों के युद्ध की बात ना करते हुए यह संवाद सामरिक और कूटनीतिक बढ़त को दर्शाता यह डायलॉग Sony LIV के Rocket Boys S02 से है। सीरिज के पहला भाग में महान किरदारों के जीवन प्रयोगों दर्शाया गया था। दूसरा भाग उसी कहानी को पूरा करने का काम करता है। 



Rocket Boys S02
के दूसरे सीजन की शुरूआत पहले सीजन के मुहाने से ही होती है। जहां Vikram Sarabhai सफल प्रक्षेपण कर चुके हैं। शुरूआती एपिसोड जमीन तैयार करने के साथ Vikram Sarabhai की निजी ज़िंदगी में ज़्यादा दिलचस्पी लेते हैं। 


वहीं दूसरी ओर Homi Bhabha दिखाए जाते हैं जो America और भितरघात से लड़ते नज़र रहें हैं। इतिहास गवाह रहा है कि दुश्मनों ज़्यादा नुक़सान अपनों ने ही पहुँचाया है। यहाँ भी कुछ इसी तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं। 


इसके बाद कहानी कुछ घटनाओं और सिलसिलेवार मौतों पर केन्द्रित हो जाती है। पहले पंडित नेहरू की मौत, फिर पाकिस्तान से 1965 की लड़ाई के बाद ताशकन्द में शास्त्री जी की संदिग्ध मौत कहानी को आगे बढ़ाने का काम करती हैं।


इन्हीं घटनाओं के माध्यम से कहानी Indira Gandhi के किरदार को भी गढ़ने का भी काम करती हैं। एक निर्णायक मौत के बाद में कहानी ढालान की ओर बढ़ने लगती हैं जहां पुराने किरदार धुंधले पड़ते हैं और नए चेहरे नज़र आते हैं। 


भारत का UN की नज़रों से बचकर, परमाणु शक्ति से सहित होना ही कहानी का मुख्य तनाव बनता है। 


बात करें रिव्यू की तो कहानी कई मायनों में पिछले सीज़न से पिछड़ती हुई नज़र आती है। Vikram Sarabhai के निजी जीवन को दिखाने का प्रयोग काफ़ी हद तक सही लगता है। नृत्य के माध्यम से जब कहानी आगे बढ़ती है तो दर्शकों को कुछ नया देखने को मिलता है। 


Rocket Boys के इस हिस्से में Homi Bhabha को केवल एक वैज्ञानिक के तौर पर ही दिखाया गया है जबकि पिछले सीजन में उनके पास विज्ञान के प्रयोगों के अलावा भी बहुत कुछ था। 


कहानी में हर थोड़ी देर में एक मोड़ आता है जहां या तो अंतरिक्ष विभाग का बजट सरकार रोक लेती है या परमाणु बनाने में सहायक सामग्री अमेरिका की ओर से रोक ली जाती है। फिर कहानी के नायक कुछ जुगाड़ निकालते हैं और गाड़ी पटरी पर लौट आती है। ये पैंतरा Rocket Boys और इस तरह की कई कहानियों में देख चुके हैं जो सीरिज की कमजोर कड़ी बनता है। 


बीच के एपिसोड में कहानी क्रमवार घटनाओं को दिखाकर Historic Documentary जैसा अनुभव कराती है। पंडित नेहरू की मृत्यु के आस पास रचे गए राजनीतिक दृ्श्य थोड़ी बहुत रोचकता जरूर पैदा करते हैं। इसके अलावा कुछ किरदारों के अंतिम दृश्य भावुकता को स्क्रीन पर छोड़ जाते हैं। 


लेकिन Dr. Kalam और Indira Gandhi के किरदारों में मेहनत की बहुत ज़्यादा कमी नज़र आती है दर्शक इन किरदारों को थोड़ा और मज़बूत देखना चाहता है। 


अभिनय की बात करें तो Jim Saraah और Ishwak Singh में कमियाँ निकालना कठिन है उनके किरदारों में गहराई की कमी नज़र आती है। Regina Cassandra इस बार ज़्यादा और बेहतर दिखीं हैं लेकिन Saba Aazad केवल कहने मात्र के लिए हैं। 


Dibyendu Bhattacharya को इस बार ज्यादा स्पेस नहीं मिला है। जबकि Namit Das प्रभावित करते हैं। माथुर का किरदार निभाने के सी शंकर ठीक ठाक हैं। 


कलाम का किरदार निभाने वाले अभिनेता और PM गांधी का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री अच्छे दिखे हैं लेकिन उन्हें और बेहतर किया जा सकता था। बजट ऑफ़िसर साहू समेत कई छोटे छोटे किरदार अच्छा अभिनय करते हैं। 


यदि आप इतिहास की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं तो आपके लिए Rocket Boys S02 की कहानी का अंदाजा लगाने में दिक्कत नहीं होगी, कहानी उन्हीं चीजों को नये कलेवर में दिखाती है, सीरिज में सिनेमाई ढंग से चौकानें वाला कोई पक्ष नहीं केवल इतिहास को करीब से देखने का मौका भर है। तीसरे भाग की गुंजाइश कम है। 


-सत्यम 

Post a Comment

0 Comments