MP Patwari भर्ती परीक्षा : एक चुनावी लॉलीपॉप

MP में पिछले बार जब Patwari भर्ती परीक्षा हुई थी तब मोदी सरकार अपना पहला कार्यकाल भोग रही थी, कोरोना वायरस को दुनिया जानती भी नहीं थी, विराट कोहली नए नए पूर्णकालिक कप्तान बने थे। पिछली MP Patwari भर्ती परीक्षा ने जमकर बवाल काटा था और देशभर में इसका हो-हल्ला मचा था, अब एक बार फिर MP Patwari भर्ती परीक्षा का एलान हुआ है। 


चूँकि मध्यप्रदेश में चुनावी साल है ऐसे में हर कोने में चर्चाओं की चरचराहट चरम पर है। इसमें Patwari भर्ती परीक्षा मसाले का काम कर रही है। जो बाँका नौजवान कल तक इस फ़िराक़ में था कि अपना डेढ़ जीबी कैसे खर्च करे, आज उसकी हालत पटवारी के हेरफेर में, हैंग पड़े स्मार्टफ़ोन की तरह हो चुकी है। कुछ छुटभैया नेता और फ़रवरी के हितैषी बाबू-सोना भी इसी मर्ज़ का हल ढूँढ रहे हैं। 


कुछ सीरियस अभ्यर्थी भी हैं जो लीक हुई आरक्षक भर्ती परीक्षा या बदहाल पड़े राज्य सिविल सेवा परीक्षा तंत्र जैसे दर्दों को भुलाने के लिए पटवारी की गुजरती गाड़ी में बैठे हैं। 


यदि लॉलीपॉप ही हुआ तो? 


MP Patwari भर्ती परीक्षा का हाल यह है कि Insta के Reel से भोपाल की बड़ी झील तक, YouTube के घंटे भर चयन के वादे से लेकर Telegram के चोर बाज़ार तक, मैराथन कोचिंग सेंटर से दीवाली की तरह सजे किताबी बाज़ार तक सबको अब बस पटवारी भर्ती से ही आसरा है। 


एक आसरा तो मामा शिवराज को भी है के शायद इसी चुनावी लॉलीपॉप के सहारे से वे अपने कार्यकाल को ढँक लेंगे, और युवा अपनी बेरोज़गारी को भुलाकर उन्हें अपना अमूल्य मत दे देगा। अब MP Patwari भर्ती परीक्षा को परीक्षा ना मानकर लॉलीपॉप मानकर देखिए। 


नये फ़रमान के मुताबिक़ सर आगामी कुछ दिनों में लगभग दस हज़ार लॉलीपॉप उछालेगी, जिनमें से तक़रीबन सात हज़ार तो पटवारी के होंगे, बाक़ी बचे हुए अन्य विभागों के। नियम यह है कि जब लॉलीपॉप उछाले जाएँगे तो लपकने वालों की आँखों पर पट्टी बंधी होगी। 


लॉलीपॉप लपकने के लिए आवेदन करना ज़रूरी था सो केवल पटवारी के विशेष लॉलीपॉप के लिए ही 12 से 13 लाख लोगों ने अपने आप को लपकने के काबिल पाया। इनमें इंजीनियरिंग से लेकर PHD, MBA जैसी डिग्री धारी लपकबाज भी शामिल हैं। 


कुल मिलाकर एक लॉलीपॉप को दो सौ लोगों के बीच उछाला जाएगा। अभी के लिए 15 मार्च का दिन लॉलीपॉप उछालने के लिए तय किया गया है। जिसमें सरकार अपने ढंग से फेरबदल कर सकती है। और यदि इस दिन कार्यक्रम हो भी जाता है और लॉलीपॉप लपक ली जाती है तो उसके बाद का मामला और रोचक बनेगा। 


लॉलीपॉप वितरण में आरक्षण का ढंग कुछ होगा, आरक्षित वर्गों को आरक्षण की हैसियत से अग्रिम पंक्ति में जगह दी जाएगी। और उनके लिए कम रफ़्तार से लॉलीपॉप उछाले जाएँगे। और यदि इन सब से छूट कर लॉलीपॉप पीछे तक पहुँच जाता है तो उसे ग़ैर आरक्षित वर्ग लपक सकता है। 


लपक कार्यक्रम के कुछ दिन बाद ख़बर आएगी कि कुछ लपकबाजों ने आँखों से पट्टी उतार कर लॉलीपॉप लपकी है, यानि पेपर लीक हो गया है। ऐसे में लॉलीपॉप लपकने वाले उसे चांटने से वंचित रह जाएँगे। 

 

जैसे तैसे यह पड़ाव भी पार हो गया तो फिर आएगा कचहरी और आरक्षण का मामला। कोर्ट कहेगा नहीं नहीं सरकार ने पचास प्रतिशत से ज़्यादा लॉलीपॉप कम रफ़्तार से उछाल दिए जिससे आरक्षित वर्गों  ने ज़्यादा लॉलीपॉप लपक लिए। 


फिर आदेश जारी होगा कि सरकार उछाले गए लॉलीपॉप को वापस ले और उन्हें चाक चौबंद के साथ डिब्बे में रख दे। फिर एंट्री होगी ट्विटर वॉर की जहां हैशटैग ट्रेंड होंगे  #हमें_लॉलीपॉप_चाटने_दो, #हमारे_लॉलीपॉप_वापस_दो आदि आदि। 


इन सब के बीच चुनाव पूरा हो जाता है तो फिर नए सरकार के नखरे तो नई नवेली दुल्हन से भी बढ़कर हो जाते है। 


ये भी मेरी गलती है !


इस पूरे प्रपंच का श्रेय का बड़ा हिस्सा सरकार को जाना चाहिए। जिसने लंबे समय तक इस लॉलीपॉप के पिटारे को चुनाव के लिए बचा कर रखा। सरकार चाहती तो समय समय पर कुछ कुछ मात्रा में पद जारी करके बेरोज़गारी का निपटान कर सकती थी। 


लेकिन उन्हें चुनावी रोटी भी सेंकनी है। आलम यह है कि एक ही विज्ञापन में पटवारी, प्रोफ़ेसर और जाने कौन कौन से पदों को भरा है। पद कोई भी परीक्षा एक ही है। उदाहरण से समझिए मुझे ख़बर मिली कि इस रेलमपेल में कुछ भर्तियाँ PRO की भी हैं, PRO यानि पब्लिक रिलेशनशिप ऑफ़िसर, जो सरकार के कामकाजों की जानकारी मीडिया और जनता तक पहुँचाने का काम करता है। आजकल ये काम सोशल मीडिया के क़ायदे से ज़्यादा होता है। 


चूँकि मीडिया से हूँ तो रूचि पैदा हुई योग्यता और परीक्षा पैटर्न देखा तो पता चला कि गणित, तर्कशक्ति, विज्ञान और प्रबंधन जैसे विषय से जुड़े प्रश्न पूछे जाएँगे। जिनका पद पर नियुक्ति के बाद कोई मतलब नहीं रह जाएगा। ज़रूरी था कि मीडिया नवाचार, सोशल मीडिया तकनीक, पत्रकारिता इतिहास से जुड़ा कुछ ज्ञान बघारने का मौक़ा इस पद के अभ्यर्थियों को दिया जाना चाहिए था। और गणित-विज्ञान ही पढ़ना आता होता तो मीडिया जैसे कलात्मक क्षेत्र में काहे आते भाई। 


गलती पूरी सरकार की भी नहीं है जब सभी को सरकारी ही नौकरी चाहिए तो सरकार क्या ही करे। अलबत्ता किसी के पास कौशल हो या नहीं भी हों। अब जब आप MBA, PHD इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई कर चुकें हैं तो इसलिए तो नहीं किए होंगे ना कि जब तक पटवारी का फ़ॉर्म नहीं तब कुछ तो करना है तो इसे ही कर लें। 


हर साल लाखों ग्रेजुएट यही सोचकर कॉलेज से निकलते हैं या एडमिशन लेते है कि चलो ये तो करना ही साथ सरकारी परीक्षा की कोचिंग और कर लेते हैं। मतलब सरकारी नौकरी चाहिए सबको है क्योंकि इसे पाने के पहले मेहनत करनी पड़ती है पाने के बाद तो सब हो ही जाता है। पिछले दिनों एक बड़े पत्रकार ने इस पर कुछ बोल दिया था लोगों ने उनको जमकर घेरा, खैर उनको गालियाँ सुनने की आदत भी है। 


चलिए जब तक लॉलीपॉप नहीं लपक लेते तब तक YouTube देखिए कि गति और प्रतिक्रिया का ऐसा संतुलन कैसे बनाए कि लॉलीपॉप सीधा आपकी झोली में आकर गिरे। बाक़ी कोचिंग वालों की लपक-नीति चल ही रही।


यहाँ तक कि Boycott से ग्रसित Pathaan नामक संजीवन पा चुका Bollywood भी Patwari के प्रभाव से अछूता नहीं हैं। 1969 में आई फ़िल्म Sajan का Lata Mangeshkar-Mohammad Rafi की जोड़ी का गाया हुआ गानाकैसा पटवारीसोशल मीडिया पर MP Patwari भर्ती परीक्षा का समूह गान बन चुका है। 


-सत्यम

( केवल कोरा कटाक्ष माना जाए।)


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1 Comments

  1. इस लॉलीपॉप से शुगर लेवल बढ़ने का खतरा बहुत है महोदय

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