Movie Review - Doctor G (OTT release) In hindi
“Gyne को स्त्री रोग क्यों कहते हैं ? क्या स्त्री कोई रोग है ?“
फ़िल्म Doctor G की पृष्ठभू्मि को देखा जाए तो यह संवाद हास्य के मतलब से बोला जाता है लेकिन इसके बाद हंसी तो नहीं लेकिन एक Awkward सी Silence जरूर पीछे छूट जाती है। स्त्री संबंधी रोगों के लिए पुरूष डॉक्टर का होना आज भी कई प्रश्नचिन्ह अपने साथ लाता है। इन्हीं प्रश्नचिन्हों के जबाव को ढूंढने का प्रयास करती है, Ayushmann Khurrana की Doctor G.
फ़िल्म की कहानी के मुख्य किरदार है उदय गुप्ता यानि Ayushmann Khurrana जो मेडिकल के छात्र हैं, MBBS कर चुके हैं और अब PG के दौर में हैं। इन्होंने अपनी टूटी हुई हड्डी से सबक़ लेकर यह तय किया कि यह Otho यानि हड्डी रोग विशेषज्ञ बनेंगे। लेकिन PG की तैयारी और प्रेम के बीच झूलकर इनकी रैंक आत्महत्या कर लेती है।
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और इनके हिस्से आती है Gyne की एक बची खुची सीट। भविष्य की पतवार को संवारने के लिए उदय मन मार कर इस सीट को अपना लेते हैं। समस्या यहाँ ख़त्म नहीं बल्कि शुरू होती, एक पुरूष का महिलाओं का डॉक्टर होना एक असहज विषय है, इसे ही सहज बनाने का काम करते हैं, Doctor G के दो घंटे।
तो फ़िल्म इस मुद्दे से किरदार के साथ साथ दर्शकों को सहज करवा पाती है। इसका जवाब सीधा सीधा तो नहीं दिया जा सकता। क्योंकि Doctor G विषय को समझाती तो बेहतर ढंग से लेकिन उसे समेटने का तरीका थोड़ा कमजोर नजर आता है। चूंकि इस विषय पर ज्यादा बात नहीं होती ऐसे में फिल्म यह बताने में ज्यादा खर्च हो जाती है कि आखिर मूल समस्या है।
इसके अलावा फ़िल्म कई और बातों को कहने का प्रयास करती है। उदित के पहले प्यार से, Extra Marital Affair तक कहानी Society में Female पर Male Domination को दर्शाती है और बार यह कहने की कोशिश करती है कि औरत कोई खिलौना या Sex पूर्ति और संतान उत्पत्ति का जरिया भर नहीं है।
गर्भवती महिला के दर्द संवेदनशीलता, संतान के रूप में लड़के की चाह, Sex Education की जरूरत जैसे कई बातें कुछ किरदारों के जानिब से आती जाती रहती हैं। लेकिन “लड़का और लड़की एक दोस्त हो सकते है” वाला Narrative एक सब प्लॉट की तरह है जो शुरू से अंत तक कहानी के साथ चलता ही रहता है।
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वही Sheba Chadda का किरदार रिश्तों के गाँठ-जोड़ और अपनों की ज़रूरत की बात करती हैं। वहीं Shefali Shah Medical Ethics की ओर भी इशारा करता है।
नवजात बच्चे का उदय नामकरण और जेनी को Sorry कहना Doctor G के याद रखे जाने वाले सीन्स में से है।
आमतौर Tabu Subject वाली फिल्मों विषय को हास्य में पिरोकर दिखाया जाता है जिसे दर्शक कॉमेडी फिल्म के तौर पर ही देखते हैं। लेकिन Doctor G बातों को गंभीरता से परोसने का प्रयास करती है जिसमें हास्य का रंग है तो लेकिन उतना नहीं जो मुद्दे को मजाक बना दे। जो कहानी के हिसाब से बिल्कुल ठीक है।
लेकिन ये बात दर्शकों कम रास आई जिससे Doctor G सिनेमाघरों में उतने दर्शक नहीं जुटा पाई। लेकिन यदि यह फिल्म कोविड के पहले वाले दौर में रिलीज होती तो हो सकता है इसे ज्यादा बेहतर रिस्पांस मिलता।
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Ayushmann Khurrana की बात की जाए तो वह इस तरह के किरदारों में महारत हासिल कर चुके हैं। वह किरदार के अनुसार कभी सख्त तो कभी सॉफ़्ट नज़र आते हैं लेकिन उनकी कॉमिक टाइमिंग की कमी नज़र आती है। किरदार सीरियस क़िस्म होने से थोड़ा खटकता है। भाषा में भोपाली लहजा जबरदस्ती घसीटने जैसा लगता है।
वहीं Rakul Preet Singh सही नज़र आती हैं। कई जगहों पर वे मुखर होतीं है तो और बेहतर लगती है। लेकिन उनके मुस्लिम होने वाले हिस्से को थोड़ा और मज़बूत किया जा सकता था।
Sheeba Chadda बढ़िया अभिनय करती है। Tinder वाले जोक और इमोशनल पक्ष दोनों में वे बढ़िया लगती है। उनके किरायेदार के रूप में Abhay Mishra भी बेहतरीन लगते हैं। Pooja Sarup और Ayesha kaduskar छोटे किरदरों में बढ़ी बात कह जाती हैं।
हालाँकि इसे सिनेमा में देखना चाहिए था Kantara की लहर में Doctor G का सोशन मेसेज कही छुप गया था। OTT पर इसे मिस मत कीजिए।
-सत्यम
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