Movie Review - Pippa

Pippa Review in Hindi

SOMETIMES NOT TO FIGHT IS NOT AN OPTION.

पिछले शुक्रवार को Prime Video पर फिल्म Pippa प्रीमियर हुई, ऊपर का डायलॉग वहीं से है। फिल्म का जब ट्रेलर आया तो उसके कमेंट अनेकों कमेंट थे जो इस बात पर अड़े थे कि ऐसी फिल्में तो बड़े पर्दे पर दिखाई जानी चाहिए। फिर इसे डिजिटल रिलीज क्यों किया गया इसका पता तो डिजिटल पर देखकर ही चलेगा। 

Pippa Movie Review in Hindi
Pippa की कहानी मूल रूप से पूर्व भारतीय सेना के Brigadier Balram Singh Mehta की किताब The Burning Chaffees पर बेस्ड है। इस किताब में Balram Singh Mehta ने साल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए Battle of Garibpur से जुड़े अनुभवों को लिखा है। 

Pippa आमतौर पर टिन से बने घी के डिब्बे को कहा जाता है जो पानी पर तैरता है। भारतीय सेना का PT76 भी पानी पर तैर सकता था इसलिए आर्मी की टुकड़ी 14 पंजाब ने इसे ‘पिप्पा’ नाम दिया। यह भी पढ़ें Tiger 3 Movie Review in Hindi

फिल्म की सीधी-सादी कहानी है। फिल्म की कहानी मेहता परिवार पर केन्द्रित है जिसमें दो भाई राम-बलराम यानी Priyanshu Painyuli और Ishaan Khattar और बहन राधा बनी Mrunal Thakur हैं। तीनों अलग-अलग मोर्चों से देश की सेवा में जुटे हैं।

प्लॉट और इंट्रो बिल्ड अप के बाद फिल्म सीधे 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की तरफ बढ़ जाती है। और गरीबपुर के युद्ध के संघर्ष और विजय की कहानी को दिखाते हुए 1971 में भारत के लहराते परचम और बांग्लादेश के जन्म के साथ खत्म होती है। 

जब कभी भी किसी फिल्म का नाम वॉर या आर्मी बैकग्राउंड से जुड़ता है तो लोग मास मसाला और देशभक्ति की उम्मीद लगाते हैं। Pippa से भी कुछ ऐसी चाह रखते हैं तो यह फिल्म आपके लिए नहीं है। फिल्म का काम हैं 1971 के युद्ध में बांग्ला भाषियों के साथ हुई बर्बरता के साथ खड़े होना और उसके आस-पास घट रही घटनाओं को दर्शकों तक पहुंचाना है जिसमें फिल्म बाकायदा खरी उतरती है। 

Pippa Movie Review in Hindi
फिल्म Pippa Balram Mehta के हिस्से से कहानी सुनाती है और बायोग्राफिकली आगे बढ़ती है। कहानी का पेस थोड़ा धीमा है जो परेशान कर सकता है। लेकिन यदि पेस बढ़ाया जाता तो शायद फिल्म इमोशनल टच की तरफ नहीं बढ़ पाती। 

Pippa इमोशन को छूती है कई हिस्सों में War Cry और जंग में जान गंवाने वाले फौजी की संवेदना भी पर्दे पर दर्शाती है। लेकिन आखिर में फिल्म फिर से उसी परिवार की तरफ लौट आती है जो थोड़ा तो खटकता है। यह भी पढ़ें Web Series Review - Scam 2003 : The Telgi Story

Ishaan Khattar फिल्म के हीरो हैं। उनकी एक्टिंग अच्छी है लेकिन इंपैक्टफुल नहीं लगती। ऐसा कुछ भी नहीं जिसे फिल्म से इतर भी देखा जा सके। Priyanshu Painyuli, Mrunal Thakur के कैरेक्टर में डेप्थ नहीं है। इमोशन वाली फिल्मों में ठीक-ठाक से ऊपर के दर्जे की एक्टिंग की जरूरत होती है जो देखने को नहीं मिली। Inaamulhaq, Soham Majumdar और रामफल के किरदार की एक्टिंग सपोर्टिंग रोल्स में बेहतर है। 

फिल्म देखी जा सकती है लेकिन 1971 जैसा इवेंट लेकर कुछ और बेहतर दिखाया जा सकता था। इसके अलावा इंपैक्टफुल एक्टिंग और परफॉर्मेंस फिल्म को Shersaah जैसा एंगल भी दे सकती थी।

- सत्यम ( insta- @satyam_evjayte)

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