HinDenburg Research Report On Adani Group
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HinDenburg Research Report On Adani Group explain in hindi |
पिछले कुछ दिनों में शेयर बाज़ार लगातार नीचे की ओर जाता नजर आ रहा है। बजट के इस दौर में सड़क छाप टुटपुंजियां भी इस बारे में अपने विचार रखने से नहीं चूक रहा। बात तो सही है शेयर बाजार नीचे तो जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है देश के मशहूर उद्योगपति Goutam Adani के शेयर के दामों में आ रही लगातार कमी मानी जा रही है। और Adani के क़िले में सेंध लगाने का काम इस बार HinDenburg नामक कंपनी ने किया है।
ये HinDenburg - HinDenburg क्या है?
मई 1937 में अमेरिका के न्यू जर्सी में LZ 129 HinDenBurg नामक हाइड्रोजन चलित एयरक्राफ़्ट में लैंडिंग के दौरान आग लग गई। जिससे इसमें सवार 100 क्रू मेम्बर्स और यात्रियों में से 35 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे को World’s 5th Deadly Airship Disaster माना जाता है।
इस हादसे के क़रीब आठ दशक बाद अमेरिका में एक फ़ॉरेन्सिक फ़ाइनेंस कंपनी का गठन हुआ, जिसका नाम इसी दर्दनाक घटना के नाम पर रखा गया HinDenburg Research. यह Adani वाली ही कंपनी है। एक कुख्यात घटना से प्रेरित होकर कंपनी का नाम रखने पीछे का कारण बताते हुए HinDenburg बताती है कि 1937 में हुआ HinDenburg हादसा मानवीय लापरवाही और अनदेखी का नतीजा था। यदि अधिकृत व्यक्ति चाहते तो इस हादसे को रोका जा सकता।
HinDenburg की स्थापना के पीछे भी एक ऐसी ही सोच काम करती है। HinDenburg मानवीय आपदा तो नहीं लेकिन भविष्य में आने वाली वित्तीय आपदाओं के बारे में दुनिया को सचेत करने के लिए काम करती है।
HinDenburg, Adani Group से पहले Nikola, WINS Finance, China Metal Resources Utilization, HF Foods, Riot Blockchain जैसी दुनिया भर की कई दिग्गज कंपनियों की पोल खोल चुका है। भारत की जानी मानी एंटरटेनमेंट कंपनी Eros International पर भी HinDenburg के काले बादल मंडरा चुके हैं।
आख़िर HinDenburg Research Report में ऐसा क्या है, जो बवाल मचा रहा है?
24 जनवरी को HinDenburg ने Adani Group को लेकर 100 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें उसने 88 सवाल पूछे। इस रिपोर्ट का शीर्षक है Adani Group: How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History. HinDenburg का कहना है कि उसने इस रिपोर्ट को तैयार करने में दो साल से ज्यादा का वक्त लगाया है और कई देशों की यात्रा करके तथ्यों को हासिल किया है।
HinDenburg की रिपोर्ट ने Adani Group कई वित्तीय मामलों से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें सबसे बड़ा आरोप है Stock Manipulation का। HinDenburg Research Report उल्लेख करती है। कि Adani समूह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके अवैध तरीके से अपने शेयर्स में निवेश करवाया जिससे उसके शेयर के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई और मांग बढ़ी, जिससे निवेशकों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
रिपोर्ट के अनुसार Adani Enterprises के शेयर्स की क़ीमत जनवरी 2020 में भारतीय मुद्रा के हिसाब से क़रीब 208 थी। जबकि 2022 नवंबर तक पहुँचते पहुंचते इसकी क़ीमत तक़रीबन 4008 प्रति शेयर पहुँच गई। दो सालों के भीतर शेयर के दामों में 200 फ़ीसदी तक इज़ाफ़ा होना, ज़ाहिर तौर पर खटकता है। रिपोर्ट की माने तो आज Adani समूह के शेयर की क़ीमत असल मूल्य से लगभग 85 फ़ीसदी अधिक है।
यहाँ Stock Manipulation कहां से आता है तो इसके लिए एक उदाहरण देखिए, पिछले कुछ सालों में LIC और SBI जैसे सरकारी उपक्रमों का तेज़ी से Adani समूह में निवेश बढ़ा है। सरकारी उपक्रम हैं तो जाहिर सी बात है कि सरकार के आदेश पर निवेश करेगा। और Adani समूह और मौजूदा सरकार का क्या संबंध यह आपको बताने की ज़रूरत नहीं है।
दूसरा मुख्य आरोप जो HinDenburg लगाती है वो है निवेश के लिेए शेल कंपनियों का प्रयोग। HinDenburg को जाँच में ऐसी कई कंपनियों के बारे में पता चला जो केवल काग़ज़ों पर चल रही हैं। और इनका वास्तविक तौर पर कोई आकार और Adani समूह में निवेश के अलावा अन्य कोई भी वित्तीय लेन देन नहीं है।
सीधे तौर पर कहा जाए तो Adani समूह ने अपने क़रीबियों की मदद से Tax Haven Countries में शेल कंपनियों का निर्माण कर, अपने ही पैसों से Adani समूह के शेयर्स को तेजी से खरीदा और बेचा जिससे भारतीय बाजार में इस समूह के शेयर की मांग और दामों में तेजी से उछाल आया जिससे Adani समूह को ज्यादा से ज्यादा पूंजीकरण हासिल करने में मदद मिली।
Vijay Mallya और Nirav Modi जैसे भगौड़े भी इन शेल कंपनियों का कुछ इसी तरीक़े का प्रयोग करते पाए गए थे।
व्यवसायिक लाभ को Adani ग्रुप ने शेल कंपनियों के हिस्से में दिखाकर Tax Haven Countries में नाममात्र कर अदा करके भारत से टैक्स की चोरी की। SEBI भी इसी सिलसिले में Adani समूह लगातार शिकंजा कसता रहा है।
HinDenburg रिपोर्ट बताती है कि Adani समूह की सात में से पाँच कंपनियाँ पूरी तरह से क़र्ज़ में डूबी हुई हैं। और कंपनियों के पास इतना धन लाभ या संसाधन नहीं हैं कि वो अपना क़र्ज़ चुका सकें। आसान शब्दों में कहा जाए तो यदि लेनदार अपने पैसे वापिस माँग लें तो Adani समूह की ये कंपनियाँ अपना सबकुछ बेचकर भी लोन का पैसा नहीं चुका सकेंगी। Adani समूह के सबसे बड़े लेनदार लगातार NPA की मार झेल भारत के सरकारी बैंक ही हैं।
इसके साथ ही Adani समूह का ऑडिट करने वाली कंपनी पर भी HinDenburg रिपोर्ट बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाती है। इतने बड़े Adani समूह के ऑडिट का ज़िम्मा एक छोटी सी कंपनी पर है जिसमें चार साझेदार और केवल 11 कर्मचारी है। HinDenburg रिपोर्ट यह भी बताती है कि Adani समूह के उच्च पदों पर या निर्णय क्षमता रखने वाले पदों पर ज़्यादातर लोग Goutam adani के नाते रिश्तेदार या उसके करीबी हैं, जो व्यवसायिक निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
क्या फ़र्क़ पड़ता है Report ही तो है !
अब बात करें इस रिपोर्ट के प्रभाव की तो HinDenburg रिपोर्ट के आने के बाद से दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति माने जाने वाले Goutam Adani सातवें स्थान पर आ गिरे हैं। यह सूची Forbes की है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट की माने तो Goutam Adani इस रिपोर्ट के बाद अब तक 22 बिलियन डॉलर से अधिक का नुक़सान झेल चुके हैं। वहीं निवेशक Adani के ख़िलाफ़ आई इस रिपोर्ट के कारण अब तक 4 लाख करोड़ रूपये गँवा चुके हैं।
आप कहेंगे कि आम आदमी को इन सब बातों से क्या फ़र्क़ पड़ता है। तो आपको बता दें कि Adani के निवेशकों में शामिल LIC और SBI की गाड़ी भी घाटे की पटरी पर दौड़ रही है। LIC ने Adani समूह में 74 हज़ार करोड़ का निवेश किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो LIC के निवेश का एक तिहाई हिस्सा HinDenburg की भेंट चढ़ चुका है। भारत में आज भी बचत के लिए LIC सबसे विश्वसनीय माना जाता है। तो अप्रत्यक्ष रूप से यह आम जनता का ही पैसा है, यह गिरावट उनकी बचत में सेंध लगा सकती है।
HinDenburg रिपोर्ट से सिर्फ़ Adani समूह ही नहीं बल्कि पूरे शेयर बाज़ार को नुक़सान झेलना पड़ा है। इसके प्रभाव से Sensex लगभग 850 अंक, Nifty 17650 अंक नीचे पहुँच गया है। जिससे निवेशकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरी हैं।
रिपोर्ट आने बाद लगातार घाटा झेल रहे Adani समूह ने HinDenburg पर ग़लत जानकारी साझा करने का आरोप लगाते हुए, दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। तो पलटवार में कहा है कि वह तमाम सबूतों के साथ क़ानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। वहीं वित्त विशेषज्ञों की माने तो वे कहते हैं कि भारतीय बाज़ार की प्रकृति जोखिम झेलने वाली है और भारतीय बाज़ार जल्द ही इस संकट से उबर जाएगा लेकिन Adani समूह की साख पर निवेशकों का संशय लंबे समय तक बना रहेगा।
(तथ्यों विभिन्नता की गुंजाइश है)
-सत्यम
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