Movie Review - India LockDown
![]() |
Madhur Bhandarkar ट्रेंड से हटकर काम करने लिए जाने जाते हैं जैसा कि हम Chandani Bar जैसी Cult Classic में देख चुके हैं। हाल ही में OTT पर रिलीज हुई फिल्म Babli Bouncer को क्रिटिक्स की सरहाना मिली,जो एक अलग तरीके के किरदार की कहानी बताती है।
ऐसे में जब दुनिया कोविड के बुरे दौर को पीछे छोड़कर आगे निकल चुकी है तब Madhur Bhandarkar कोरोना से जुड़ी कुछ कहानियों को पिरोकर India LockDown लेकर आए हैं। यह एक Anthology सीरिज है।
India LockDown चार अलग अलग कहानियाँ हमारे सामने रखती है। जिसमें पहली कहानी एक सीनियर सिटीज़न की है जो कोविड के दौर में मुंबई जैसे शहर में रहते हैं। वह अपने परिवार से मिलने हैदराबाद जाना चाहते है। उनकी हैदराबाद यात्रा ही उनकी कहानी का मर्म है।
यह भी पढ़ें Movie Review - Freddy In Hindi
वही एक अन्य कहानी कुछ युवाओं की है जोड कोविड के दौर में Long Distance Relationship जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। तीसरी कहानी है सेक्स वर्कर्स की जो पैसे और बीमारी के बीच जद्दोजहद कर रहीं हैं। अंतिम और चौथी कहानी एक मज़दूर वर्ग की है जो पैदल मुंबई से अपने घर बिहार की ओर निकल चुका है। उसका सफ़र हमारे लिए कहानी होगी।
Anthology Series का मुख्य आकर्षण उसकी कहानी होती है। क्योंकि इसे कम समय में ज्यादा बात कहनी होती है, अभिनय और संवाद के अलावा इसके पास ज्यादा कुछ कहने को होता नहीं। India LockDown कोरोना काल को दर्शाने की अधूरी सी कोशिश लगती है। जो कहना तो बहुत कुछ चाहती है लेकिन मन मारकर रह जाती है।
Prateik Babbar और Sai Tamhankar की कहानी इस सीरिज़ में सबसे गंभीर बात कहने की कोशिश कर रही है। जो सैकड़ों में पैदल घर लौटते मज़दूरों की तस्वीर बनाने की कोशिश करती है। लेकिन कहानी ज़्यादा चीजें समेटने के चक्कर में मूल मुद्दे से भटक जाती है। यदि कुछ चीजों को छोड़कर मूल मुद्दे से कहानी जुड़ती तो बेहतर कहानी लगती।
यह भी पढ़ें Movie Review - Qala in Hindi
Long Distance Relationship वाली कहानी को इस सीरिज की सबसे कमजोर कहानी माना जा सकता है। जो कोविड से ज्यादा लव स्टोरी पर फोकस करती है जिससे दर्शकों को रिलेट करने में समस्या हो सकती है।
सेक्स वर्कर्स की कहानी उस तबके से जोड़ने में मदद करती है। सीनियर सिटीज़न वाली कहानी भी ज़्यादा उम्र के लोगों पर लॉकडाउन के प्रभाव को दर्शाती है।
अभिनय की बात करें तो Pratiek Babbar और Sai Tamhankar अच्छी भूमिका निभाते है लेकिन लेखन में चूक उनके किरदारों में नज़र आती है। Shweta Basu Prasad का अभिनय सबसे बेहतर कहा जा सकता है। वह हर किरदार के साथ एक नए ढंग को पेश कर रही हैं।
Prakash Belawadi, Saanand Verma कुछ अच्छे मूमेंट्स देते हैं। Aahana Kumra पास ज़्यादा कुछ करने को है नहीं। लेकिन Satvik Bhatia प्रभावित ज़रूर करते हैं।
कुल मिलाकर कहानी कहना तो बहुत कुछ चाहती है लेकिन कह नहीं पाती। यह कोविड की कुछ पहले देखी जा चुकी कहानियों जैसी ही है। हालांकि इस हफ़्ते बहुत से बेहतर विकल्प मौजूद हैं उन्हें देखा जा सकता है।
-सत्यम
0 Comments