Movie Review - Qala

 Movie Review - Qala in Hindi

दौर बदलेगा, दौर की ये पुरानी आदत है। 

यह संवाद फ़िल्म Qala से है। 


 Movie Review - Qala in Hindi

Tripti Dimri, Babil Khan, Swastika Mukherjee जैसे कलाकारों से सजी फ़िल्म Qala को  Netflix ने गुरूवार दोपहर से दर्शकों के हवाले कर दिया। जब से इस फ़िल्म के निर्माण की ख़बरें सामने आई, तब से लेकर रिलीज़ तक, दिवंगत अभिनेता Irrfan Khan के पुत्र Babil Khan के Debut को लेकर Qala चर्चा में रही।


लेकिन फ़िल्म देखने के बाद कहा जा सकता है कि अब फ़िल्म Qala, Tripti Dimri के अभिनय के लिए याद की जाएगी। हालाँकि Babil का प्रदर्शन भी कमतर नहीं कहा जा सकता। 


यह भी पढ़े Web Series Review - Khakee : The Bihar Chapter


Qala की कहानी एक महिला गायिका Qala की कहानी है। जिसका जन्म एक संगीत घराने में हुआ है, जहां संगीत की विरासत अब तक लड़के आगे बढ़ाते आए हैं। लेकिन अब इस विरासत को आगे बढ़ाने का Qala ही एक मात्र विकल्प है। ऐसे में जैसे तैसे Qala को संगीत को आगे बढ़ाने का दायित्व सौंपा जाता है। 


लेकिन जिस समाज में एक महिला दूसरी महिला को पितृसत्ता सोच से आगे निकलने से रोकती है। उस दौर में Qala का सफ़र मुश्किल हो चला है। लेकिन तमाम मुश्किलों पर चढ़कर और समझौतों से गुजर कर Qala कामयाब गायिका का मुक़ाम हासिल कर लेती है। लेकिन उसका सफ़र ख़त्म नहीं होता। 


कहानी के दूसरे और अंतिम हिस्से में सफलता के बाद के मानसिक द्वन्द और अतीत की उलझनों को Qala की कहानी स्क्रीन पर उतारती है। 


Qala का निर्देशन और लेखन Anvita Dutt ने किया है। जो पहले Bulbbul जैसी फ़िल्म बना चुकी है। जिसमें Tripti Dimri भी नज़र आईं थी। पुरूष प्रधान समाज की अवधारणा या बेटी से ज़्यादा बेटे को प्राथमिकता वाला पक्ष Qala में कुछ कुछ Bulbbul से ही प्रेरित नज़र आता है। 


लड़की हो इसलिए मेहनत ज़्यादा करनी पड़ेगी।जैसे संवाद Qala की परवरिश का हिस्सा है। वहीं Female Secretary वाला संवाद भी  Patriarchal Society की संरचना को दिखाने में मदद करता है। 


कहानी को दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है। एक वह जो फ़्लैशबैक में चलती है दूसरी जो मौजूदा दौर में। लेकिन दोनों ही हिस्सों का अपने बीच में एक द्वन्द नज़र आता है। किरदार के दोनों पक्ष एक दूसरे पर हावी होते नज़र आते है। जो दर्शकों के लिए दिलचस्प बन पड़े हैं। 


दूसरे पक्ष में कहानी मानसिक तनाव जैसे सामाजिक मुद्दे को सामने रखती है। लेकिन जिस ढंग से किरदार के मानसिक द्वन्द को स्क्रीन पर उतारा गया, कहीं ना कहीं दर्शक भी उससे जूझता नज़र आता है। 


यह भी पढ़े Movie Essay - Chup : Revenge of The Artist


इसके अलावा भी कहानी कुछ Moments पर आपका ध्यान खींचती है। जिनमें नाव में गाती नायिका का रोक देना, सितार पकड़कर रोता गायक जो चाह कर भी नहीं गा सकता , रिकॉर्डिंग स्टुडियो का बर्फ़ में ढक जाना ऐसे ही कुछ चुनिंदा Moments है। 


फ़िल्म में कहानी में पिरोकर म्यूज़िक को रखा गया है, एक पल की लिए भी बैकग्राउंड संगीत कमजोर नहीं पड़ता। जिसमें Amit Trivedi और Playback Singers को इसका श्रेय जाता है। कबीर के दोहे से लेकर तमाम Lyrics भी बेहतर लगे है। 


अभिनय की बात की जाए तो Tripti Dimri हर तरह की कसौटी पर खरी उतरीं हैं। हर एक इमोशन के लिए उनके पास हर तरह का रिएक्शन है। उनका अभिनय मानसिक द्वन्द को सजीव स्क्रीन पर उकेरता है। Babil के साथ उनके सीन्स में वे कमाल का अभिनय करती नज़र आती हैं। वहीं Sameer Kochhar के साथ एक ही सीन में वे कमाल कर जाती हैं। 


Babil Khan और उनकी भारी आवाज़ नया अनुभव है। वे बढ़िया लगें है। उनके किरदार के दो पड़ाव है। दूसरे वाले हिस्से में वे असहज कर जाते हैं। वहीं Swastika Mukherjee को उसी तरीक़े के किरदार में देखते है जिनमें उन्हें कई बार देख चुके है। ऐसे कुछ ख़ास कहने को मिलता नहीं। 


Amit Sial, Sameer Kochhar, Varun Grover के किरदार ज्यादा बड़े नहीं हैं लेकिन वे सही लगते हैं। Girija Oak भी अपना नाम दर्ज करवाती है। 


Qala एक विशेष तरह का सिनेमा पेश करता है जो आम तरीक़े के लोगों को ना तो आसानी से हज़म होता है ना ही पसंद आता है। 


-सत्यम 

Post a Comment

0 Comments