Web Series Review : Breathe Into The Shadows S02

Breathe Into The Shadows S02 Review in Hindi


मौक़ा ज़िंदगी देती है, मौत नहीं।
यह संवाद Breathe Into The Shadows S02 से है। सीरिज का पहला सीजन दर्शकों के मन बहुत से सवाल और सस्पेंस छोड़कर गया था। और Psychological thriller के Genre में Breathe Into The Shadows काफी कुछ नया दिखा कर गया था ऐसे में इंतजार करना लाजमी भी था। 

Breathe Into The Shadows S02 Review in Hindi



Breathe Into The Shadows S02 की कहानी पिछले प्लॉट से तीन साल बाद शुरू होती है। समय बीत चुका है लेकिन अविनाश औऱ J के बीच का संघर्ष अब भी वही पुराना है। पिछले सीजन की तरह J को छुपाया नहीं जाता वह कुछ देर की कहानी के बाद ही खुले तौर पर दर्शकों के सामने आता है। 


J के सामने आते ही कहानी फिर से दस सिरों वाले रावण के इर्द-गिर्द घूमने लगती है। और स्क्रीन पर एक के बाद एक मर्डर का सिलसिला फिर से चल पड़ता है। 


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मर्डर है तो जाँच पड़ताल तो होगी है। और इन्हीं मर्डर की तह तक पहुँचने और रावण किलर वाले भूत को फिर बोतल में बंद करने, कबीर सावंत एक बार फिर अपने दो साइड किक के साथ निकल पड़ते हैं। लेकिन इस बार उनके ऊपर एक बॉस भी है जो अलग से एक सब-प्लॉट बुनते हैं। 


पहले कबीर सावंत J तक पहुँचेगा या J रावण के दसवें सिर तक। Breathe Into The Shadows S02 का क्लाइमैक्स इसी सवाल का जबाव देता है। 


Breathe Into The Shadows S02 कहानी के अलाावा भी कई मायनों में अपने पिछले सीजन से ही प्रेरित लगता है। मेकर्स ने इस सीजन में कुछ एक किरदारों के अलावा ज्यादा कुछ नया करने की कोशिश नहीं की है। 


पिछले सीज़न में जिन मर्डर सीन्स को उनके पीछे की कहानियों को जितने ठीक से पेश किया था, Breathe Into The Shadows S02 में वह नजर नहीं आता। इसके अलावा मर्डर के पीछे की बैक स्टोरी भी कमजोर नजर आती हैं। कुछ मर्डर के पीछे के कारण एकदम बचकाने लगते हैं।


Breathe Into The Shadows S02 किसी भी मायने में अपने दायरे को नहीं बढ़ाता बल्कि उन्हीं चीजों के बीच घूमता रहता है। जिससे कहानी प्रिडक्टिबल और बोरिंग हो जाती है। यही कारण है कि बीच के एपिसोड्स में कहानी बहुत स्लो नजर आती है। 


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कुछ सब-प्लॉट्स को छोड़ दिया जाए तो बाक़ी के ज़्यादातर सब-प्लॉट्स मुख्य कहानी से मेल खाते नज़र नहीं आते। हालाँकि कुछ किरदारों की बुनावट बेहतर है। 


अभिनय की बात की जाए तो Abhishek Bachchan पिछली बार की तरह ही बेहतर नज़र आए हैं। जब पिछले सीज़न में उन्हें चुना गया था तब उन पर R Madhavan के प्रदर्शन को दोहराने का दबाव था लेकिन Breathe Into The Shadows S01 में उनकी परफॉर्मेंस के बाद उनसे उम्मीद बढ़ जाती है। 


हालाँकि वह उम्मीद पर अपनी ओर से बेहतर करते हैं। लेकिन राइटिंग की कमी कई बार उनके किरदार में खटकती है। इस J को अविनाश से ज़्यादा स्पेस दिया गया है, लेकिन पिछले सीज़न में अविनाश वाला पक्ष भी बेहतर था जिसे दर्शक और देखना चाहते हैं। 


Amit Sadh कम संवाद और बेहतर अभिनय वाले फ़ॉर्मूले पर क़ायम हैं। वह उसमें ज़्यादा कुछ बदलाव करने की कोशिश नहीं करते जो ठीक भी लगता है। उनका अभिनय कुछ जगहों पर निखर कर आता है जिनमें Pen Drive वाला सीन चर्चा करने लायक है। 


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Amit Sadh के साइड किक के रूप में Hrishikesh Joshi  Shrikant Verma को दो एक कॉमिक टाइमिंग के अलावा ज़्यादा कुछ ख़ास नहीं दिया गया है। वहीं आला अधिकारी के रूप में Zakir Hussain बेहतर लगे हैं। उनकी बेटी के किरदार में भी अभिनेत्री अच्छा अभिनय करती दिखी हैं। Saiyami Kher को ज़्यादा कुछ करने का मौक़ा नहीं मिला है।


Breathe Into The Shadows S02 देखने का एकमात्र कारण Naveen Kasturia हैं। वह सीजन के टर्निंग प्वाइंट हैं, यह कहना गलत नहीं होगा की वह सीजन को काफी हद तक अपने दम पर चलाते हैं। उनका कैरेक्टर बेहतरीन ढंग से Establish किया गया है। उनका अभिनय इस पार चार चांद लगा देता है। 


कुल मिलाकर थोड़ी सी लंबाई कम होती और कुछ नयापन होता तो Breathe Into The Shadows S02 बेहतर Psychological Thriller बन सकता था। 


-सत्यम 

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