Web Series Review - Khakee : The Bihar Chapter

Web Series Review - Khakee : The Bihar Chapter


ख़तरनाक लोग जब ख़ुद ख़तरे में जाएं, असल शांति तभी आती है। 


शांति की बात करता यह संवाद हाल ही में Netflix पर प्रदर्शित वेब सीरिज Khakee : The Bihar Chapter से है। संवाद शांति की बात जरूर कर रहा है लेकिन फिल्म की पृष्ठभूमि बेहद उथल पुथल भरी नजर आती है। और जब कहानी माफियाओं के गढ़ माने जाने वाले बिहार पर केन्द्रित हो तो परिदृश्य में उथल पुथल की संभावना बढ़ ही जाती है। 


Web Series Review - Khakee : The Bihar Chapter

Khakee : The Bihar Chapter मुख्य रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी Amit Lodha द्वारा लिखित किताब Bihar Diaries : The True Story How Bihar’s Most Dangerous Criminal Was Caught पर आधारित है। जिसमें IPS Amit Lodha बिहार कार्यकाल के बारे में लिखा है। 


सीरिज़ की कहानी Amit Lodha की बिहार नियुक्ति से शुरू होती है। लेकिन कहानी उनके नहीं बल्कि 2000 के दशक में बिहार के कुख्यात अपराधी गैंगस्टर रहे Chandan Mahto पर आधारित है। जिसकी कहानी एक ट्रक ड्राईवर के तौर पर शुरू होती है लेकिन बाहुबली का साथ पाकर फिर उन्हें ही कुचल कर Chandan Mahto एक बड़े गैंगस्टर के रूप में उभरता है। 


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फिर पुलिस जागती है निकल पड़ती है गैंगस्टर को पकड़ने। Chandan Mahto के गैंगस्टर बनने और पुलिस के हाथ लगने के बीच का द्वंद ही  Khakee : The Bihar Chapter की पृष्ठभूमि का मुख्य तनाव है। 


पहली नज़र में तो Khakee : The Bihar Chapter ओटीटी पर बन चुकी गैंगस्टर, पुलिस, चुनाव, राजनीति और अपराध वाली कहानी ही लगती है। जिसे हम कई प्लेटफार्म की कई वेबसीरीज में देख चुके हैं। लेकिन जब मेकर्स में Neeraj Pandey का नाम सामने आते हैं, जिनके हिस्से में The Wednesday, Spacial Ops, Spacial 26 और MS Dhoni जैसा सिनेमा है तो उम्मीदें बढ़ जाती हैं। 


लेकिन उम्मीद के मुताबिक़ नयापन कम ही नज़र आता है। आप सीरिज़ देखना शुरू करते है तो आपको पता लगता है कि ऐसा कुछ हम पहले देख चुकें। गैंगस्टर आधारित कहानियों का अंत लगभग एक समान होता है।


नयेपन में कम गालियों और कम इंटीमेट सीन्स को गिना जा सकता है। जो अमूमन ऐसी फ़िल्मों का अहम हिस्सा रहती हैं। Khakee : The Bihar Chapter की कहानी गंभीर शैली की है लेकिन बीच में बीच बेमतलब के सोशल मीडिया मीम्स को शामिल करके इसे कॉमिक बनाने बेकार प्रयास किया गया। 


कुछ मुद्दों को कहानी अच्छा पकड़ती है।आपके ज़िले में पाँच यादव मरे हैं।जैसे डायलॉग जातिवाद में रची बसी राजनीति को दर्शाते हैं। इसके अलावा शासन की ओर चुका प्रशासन को दिखाने में भी सफलता मिली है। 


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हालाँकि कैरेक्टर बिल्डिंग थोड़ा कमजोर नज़र आती है। Chandan Mahto के पास गिनती के हाइलाइट सीन्स है। च्यवनप्राश के किरदार को छोड़ दिया जाए तो ऐसा लगभग सभी के साथ है। बिहारी लहजे पर भी और काम की गुंजाइश नज़र आती है। 


कहानी जब तक फ़्लैशबैक में चलती है तब तक कहानी का पेस ठीक लगता है लेकिन वर्तमान में लौटते ही कहानी बिखरने लगती है और भटकती नज़र आती है। कहानी की अंत किसी एनकाउंटर पर ना होकर इमोशनल नोट पर ख़त्म होता है जो कुछ नया नज़र आता है। तकनीक का ज़ोरदार प्रयोग कहीं कहीं अखरता भी है, चूँकि कहानी 2000 के शुरूआती दौर में स्थित है।


Avinash Tiwary चंदन महतो के किरदार को सही मायनों में जीवित करते हैं। लेकिन राइटिंग उन्हें ज़्यादा कुछ करने का मौक़ा नहीं देती। लेकिन वह अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं। Karan Tacker भी अच्छे दिखे हैं। 


Jatin Sarna और Abhimanyu Singh दोनों ही इस सीरिज़ के स्टैंडआउट परफॉर्मर हैं। Ravi Kishan और Aashutosh Rana अपने चिर परिचित अदाकारी को दोहराते हैं। Nikita Dutta का किरदार कहानी में कुछ जमता नहीं है। Aishwarya Sushmita के मेकर्स और बेहतर प्रयोग कर सकते थे। 


कुल मिलाकर Khakee : The Bihar Chapter किताब जैसी कहानी है, जो पढ़ने में तो ठीक लगती  लेकिन देखने लायक मसाले की कमी है। 


सत्यम 

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