Ammu (Prime video) Review In hindi
90 और 2000 दशक में आपने घरेलू हिंसा दहेज प्रताड़ना जैसी समस्या पर कई फ़िल्मों या टीवी सीरियल को देखा होगा। जिनमें अंत में एक बाहरी व्यक्ति रक्षक जैसे किरदार में आता है और पीड़ित जो अमूमन पीड़िता ही होती थी उसकी सारी समस्याओं को दूर कर देता था।
लेकिन जैसे जैसे विश्व पटल पर नारीवाद का विस्तार हुआ इसके प्रभाव सिनेमा जगत पर भी देखने को मिले आज भी ऐसी घरेलू हिंसा से जुड़ी कुछ फ़िल्में बनती है लेकिन इनमें किसी हीरो का इंतज़ार नहीं किया जाता है बल्कि अब पीड़िता ही अपनी रक्षा के दायरों को सुनिश्चित करती है।
पिछले कुछ समयों की फ़िल्मों को याद किया जाए तो Taapsee Pannu की Thappad या हालिया रिलीज़ Aliya Bhatt की Darlings याद आती है। अब ऐसी ही एक और फ़िल्म ने Prime video पर दस्तक दी है जिसका नाम है Ammu.
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माना जाता है वैवाहिक जीवन में पति पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिये होते हैं। लेकिन जब एक पहिया अपने को दूसरे से बड़ा समझने लगे तो असंतुलन की स्थिति पैदा होती है। यहीं से Ammu की कहानी की पृष्ठभूमि तैयार होती है।
कहानी की मुख्य भूमिका में Ammu यानि Aishwarya Lekshmi जिसकी शादी एक पुलिस इंस्पेक्टर रवि यानि Naveen Chandra से हो जाती है। शादी कुछ महीनों तक सब कुछ सही चलता है।
हम एक-दूसरे के लिए यह करते हैं, से बात जब, हमें यह एक दूसरे के लिए करना ही हैं, तक पहुँच जाती है तो कहानी में तनाव उत्पन्न होता है। इसके बाद कुछ कुछ दूरी पर घरेलू हिंसा के दृश्य, संबंधों का क्रूर पक्ष और पितृसत्ता डूबी स्त्री का सब्र बारी बारी से स्क्रीन पर नज़र आता है।
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Movie Review - Ammu (Prime video) In Hindi |
आगे की कहानी का कोई भी अनुमान आसानी से लगा सकता है, लेकिन यदि आप घरेलू हिंसा के दृश्यों में और पीड़िता के सब्र से असहज हो जाते हैं, तो यह लगभग सवा दो घंटे की Ammu का हासिल माना जाएगा।
Ammu हमें वह सब कुछ दिखाती है जो आमतौर पर इस तरह की कहानियों में दिखाया जाता है। जिसमें ग़ैर आत्मनिर्भर महिला का संघर्ष, उसकी सहनशीलता और यौन प्रताड़ना या मैरिटल रेप शामिल है।
लेकिन हर कहानी को कहने का तरीक़ा अलग होता है Ammu भी कुछ जगहों पर अलग नज़र आती है लेकिन मोटे तौर पर कहानी एक जैसी ही लगती है।
सिनेमाई नज़रिये से देखा जाए तो इसमें कुछ नया नहीं है। लेकिन अगर सोशल इश्यू के तौर पर देखा जाए तो Ammu उन सभी संवेदनशील पक्षों को स्क्रीन पर रखती है, जो दिखाने ज़रूरी हैं।
कहानी एक सीमित दायरे और कास्ट में सीमित इसीलिए ज़्यादा कुछ बात करने को बचता नहीं है। कुछ एक सीन बेहतर हैं जिसमें क्लाईमेक्स में नायक नायिका का मेज पर चर्चा करने का सीन अच्छा लगता है।
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Aishwarya Lekshmi अपने अभिनय कहानी को नया जीवन देती हैं। आपको कहानी के अनुसार उनसे हमदर्दी होगी और उनका सब्र कहीं न कहीं आपको कचोटता ज़रूर है।
वहीं बात की जाए Naveen Chandra की तो अच्छे और बुरे दोनों पक्षों वह दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचते हैं। पूरी फ़िल्म देखने के बाद आप उनसे नफ़रत किये बिना नहीं रह सकते है। जो उनके लिए सकारात्मक बिंदु जोड़ता है।
कुल मिलाकर Ammu की कहानी में कुछ नया नहीं है लेकिन कहने के तरीक़े में कुछ नयापन ज़रूर है लेकिन ऐसी फ़िल्मों को एक बार देखना तो बनता है।
और फ़िल्म और रिव्यू आपको कैसा लगा कमेंट में बताएँ ज़रूर।
-सत्यम
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