“ करम करो और कटहल की चिंता करो।“
कहा जाता है कि सही मायनों में अच्छा व्यंग्य वही है जिसकी यात्रा एक गंभीर समस्या से शुरू हो और पूरी यात्रा के दौरान मज़ाक़िया लहजे में चले और गुदगुदाने के हंसाने के बहुत से मौक़े लेकर आए लेकिन जब ये यात्रा ख़त्म हो तो दर्शक या पाठक के मन रह जस की तस खड़ी समस्या और कुछ देर के लिए हताशा और निराशा।
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Kathal Review In Hindi |
व्यंग्य की बात निकली है Netflix की फ़िल्म Kathal: The Jackfruit Mystery से, जिसे Political Satire कहा जा रहा है। लेकिन इसे केवल राजनीतिक व्यंग्य कहना गलत होगा क्योंकि फिल्म राजनीति के साथ साथ कई और मुद्दों को अपने साथ जोड़कर उन पर तंज कसती है।
फ़िल्म का केन्द्रीय किरदार हैं पुलिस इंस्पेक्टर महिमा यानि Sanya Malhotra. जो अपने काम के प्रति ईमानदार हैं। कहानी काल्पनिक जगह मोबा की है जहां के विधायक पटैरिया की यहाँ से दो Kathal चोरी हो जाते हैं। विधायक जी जो इन कटहलों के सहारे अपनी राजनीतिक ज़मीन मज़बूत करने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे में उनकी उम्मीदों को झटका लगता है।
अपने राजनीतिक रौब का प्रयोग करके विधायक जी पूरे पुलिस महकमे को कटहल की खोज में दौड़ा देते हैं। इस खोजबीन में कटहल मिले ना मिले लेकिन मिलता है बहुत सारा हास्य और सिस्टम का वही पुराना चेहरा।
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कुछ सालों पहले एक ख़बर आई थी कि यूपी के एक मंत्री की भैंसे खोजने में पूरा पुलिस महकमा लगा हुआ था। Kathal: The Jackfruit Mystery का प्लॉट ऐसे ही किसी राजनीतिक घटनाक्रम से प्रेरित है। चूंकि फिल्म Satiric लहजे की है तो किसी भी जगह व्यंग्य कसने का मौका नहीं छोड़ती।
राजनीति के बाद जातिवाद सबसे बड़ा मुद्दा है जिसे Kathal: The Jackfruit Mystery उठाती है। मुख्य किरदार का नाम ही महिमा बसोर है। यदि आप हिंदी पट्टी के इलाकों से वास्ता रखते हैं तो आप जानते होगें इसके क्या मायने होते हैं। कांस्टेबल मिश्रा के माध्यम से ब्राह्मण महिमामंडन पर मार करना भी जातिवाद का पहलू है। इसके अलावा कांस्टेबल कुंती के माध्यम से मध्यम वर्ग की महिलाओं की स्थिति का ठीकठाक अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
फ़िल्म एक लव स्टोरी को भी पनपने देती है लेकिन उसका प्रयोग पुलिस के अलग चेहरे को दिखाने में कर लिया जाता है। Rajpal Yadav के पत्रकार अनुज के किरदार से आज की बदनाम पत्रकारिता पर कुछ और दाग लगाए गए हैं लेकिन एक ईमानदार पत्रकार क्या क्या सकता है ये भी बताने की कोशिश है।
“हम समाचार नहीं देखते मानसिक उलझन होती है।”“ हमारे यहाँ पुलिस इंडियन पीनल कोड से नहीं बल्कि इंडियन पॉलिटिकल कोड से काम करती है।” ऐसे कुछ संवाद व्यंग्य को और ताक़त देते है। Kathal: The Jackfruit Mystery पूरी तरह से बुंदेलखंड में स्थित है। बुंदेली भाषा के संवाद मज़ेदार है।
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अभिनय की बात करें तो Sanya Malhotra बढ़िया काम करती हैं। वह अपने हर किरदार के साथ प्रयोग करती हैं यहाँ भी प्रयोग जारी है। Vijay Raaz एक अड़ियल और घमंडी नेता के किरदार में अच्छे लगे हैं। Rajpal Yadav छोटा भाई अनुज के तौर पर बेहतरीन काम करते हैं। Brijendra Kala, Raghbir Sahay ने छोटे किरदारों में अपना प्रभाव छोड़ा है। Sourabh Dwivedi, Neha Saraf समेत पूरा पुलिस महकमा बढ़िया लगता है।
इसके अलावा भी कई छोटी भूमिकाओं में नज़र आने वाले जाने-अनजाने किरदार बढ़िया सहयोग करते हैं।
हास्य के लिहाज़ से हल्की फुल्की फ़िल्म है लेकिन बीच में जाकर कुछ ज़्यादा सीरियस हो जाती है, जहां थोड़ी सी खटकती है लेकिन पेट पकड़कर हंसने पर मजबूर कर देती है। कुल मिलाकर देखना तो चाहिए।
- सत्यम (Twitter- @satyam_evJayte)
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