Gaslight Review In Hindi
Phobia, Darr @ the Mall, Rahini MMS जैसी Horrar या Mystery Genre की फिल्मों में एक बात समान है वो इन सभी फ़िल्मों के डायरेक्टर Pavan Kriplani हैं।
जिनकी पिछली फ़िल्म हॉरर कॉमेडी Bhoot Police थी, जिसे सिनेमाघरों की बजाय सीधे OTT पर रिलीज़ किया गया था। हाल ही में उनकी एक और फ़िल्म सीधे ओटीटी पर आई है Gaslight जो उनके Horrar Universe का ही हिस्सा है।
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Gaslight Movie Review In Hindi |
फ़िल्म शुरू होती है मीसा यानि Sara Ali Khan से, जो मायागढ़ की राजकुमारी हैं और कई वर्षों बाद अपने घर लौट रहीं है। मीसा बचपन में ही अपने पैरों और माँ को खो चुकी हैं।
अब अपने पिता यानि राजा रतन सिंह के बुलाने वे घर वापस लौटीं हैं, जहां उनकी सौतेली माँ रुक्मणी यानि Chitrangada Singh, उनके पिता के सहायक कपिल यानि Vikrant Massey मौजूद हैं। लेकिन उन्हें यहाँ बुलाने वाले पिता की कोई भी ख़बर नहीं हैं।
Meesha अपने पिता को खोजना शुरू करती हैं लेकिन उसे किसी से कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिलता। इसी तलाश में उसके साथ कुछ अजीब और डरावनी घटनाएँ घटने लगती हैं। इन घटनाओं के पीछे कौन है और राजा रतन सिंह कहां हैं? इसका जवाब ही Gaslight देती है।
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Gaslight, Dobaaraa और Blurr जैसी Dark Thriller Genre की फिल्म है। लेकिन डायरेक्टर Pavan Kriplani पता नहीं क्यों इसे हॉरर फ़िल्म की तरह दिखाना चाहते थे। फ़िल्म पहले एक घंटे में डरावनी आवाज़ों, अंधेर कमरों और औचक दृश्यों से दर्शकों को भ्रमित करने का काम करती है।
इसके साथ ही कुछ सब प्लॉट्स खुलते हैं जिनका आगे जाकर कहानी में कोई ख़ास महत्व नहीं रह जाता। Akshay Oberoi फिल्म में केवल कन्फ्यूज करने के लिए रखे गए। उनके हिस्से को ढंग से ना रचा गया है ना ही समेटा गया है।
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Sara Ali Khan and Vikrant Massey in Gaslight |
Gaslight मंद उजाले या अंधेरे में फ़िल्मायी गयी है। जो एक मर्डर मिस्ट्री के लिए सही था। लेकिन हॉरर थ्रिलर बनाने के चक्कर में मेकर्स ठीक ढंग से Suspense Thriller भी नहीं दिखा पाए। पूरी फिल्म या ट्विस्ट और टर्न्स देखने के बाद ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे देखकर दर्शक आवाक रह जाए।
Gaslight वही सब कुछ दिखाती है जो हम पहले भी देख चुके हैं, और शायद इससे बेहतर ढंग से देख चुकें हैं। इतना ही नहीं Lead Pair में लव टाइप केमेस्ट्री दिखाकर और Chitrangada Singh को ग्लैमर्स दिखाकर फिल्म क्या कहना चाहती थी ये जानना बहुत कठिन है।
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Gaslight के संवाद ठीक हैं। लेकिन स्क्रीनप्ले में थोड़ी कसावट की गुंजाइश नज़र आती है। फिल्म लंबाई थोड़ी और कम हो सकती थी जो पेस को बढ़ाती। आख़िर में एक के बाद एक आने वाले ट्विस्ट से कहानी संभल नहीं पाती और बिखर सी जाती है।
Sara Ali Khan का अभिनय अच्छा है। ख़ासकर एकांत वाले दृश्यों में वे बेहतर लगीं हैं। Chitrangada Singh ठीक ठीक हैं। Vikrant Massey ने दोहरी भूमिका को सही ढंग से निभाया है।
कुल मिलाकर Suspense Thriller की शक्ल में जहां फ़िल्म को दर्शकों को उलझाना चाहिए वहाँ फ़िल्म हमें भटका देती है।
-सत्यम (Twitter- @satyam_evJayte)
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