Shabaash Mithu Review in Hindi

ये मैदान भी ज़िंदगी की तरह है, सारे दर्द छोटे हैं बस खेलना बड़ा है। 


फ़िल्म Shabaash Mithu का ये संवाद पहली बार चालीसवें मिनट में सुनाई देता है। इसके बाद से यह डायलॉग दो एक बार उन जगहों पर सुनाई देता है, जहां फिल्म की स्टोरी लाईन पर भावनात्मक पक्ष हावी हो जाता है। 


Shabaash Mithu Review in hindi

बाहरी रंग रूप से देखा जाए तो Shabaash Mithu भारतीय क्रिकेट टीम की सबसे युवा कप्तान Mithali Raj की बायोपिक है लेकिन बायोपिक के अलावा कहानी कई अन्य ज़रूरी पहलुओं को छूती है। 


कहानी के लीड यानि Mithali Raj के किरदार में Taapsee Pannu हैं। Mithali Raj के कोच की भूमिका में Vijay Raaz है। इसके अलावा Brijendra Kala समेत कई अन्य कलाकार सहयोगी भूमिकाओं में हैं। 


कहानी Mithali से शुरू ना होकर नूरी से शुरू होती है जो भारतनाट्यम के रास्ते Mithali Raj तक पहुँचती हैं। पहले आधे घंटे में Mithali Raj की क्रिकेट यात्रा को स्क्रीन पर रखा जाता हैं। फ़िल्म के पौने घंटे तक Mithali Raj एक बड़े से हार्ट ब्रेक के बाद नेशनल तक पहुँच जाती हैं।


यहाँ से मैदान के साथ साथ मैदान के बाहर के संघर्षों से Mithali Raj का परिचय होता है। अगले कुछ मिनट सहज दर्शक के लिए कठिन होतें हैं। लेकिन जल्दी Mithali Raj का सही वक़्त शुरू होता है और वह एक बेहतर खिलाड़ी के तौर पर उभरती हैं, और भारतीय टीम की कप्तान बन जाती है। 


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लेकिन इसके बाद भी मैदान के बाहर संघर्ष लगातार जारी रहता है। इसके बाद कहानी स्लो पेस में क्लाईमेक्स की ओर बढ़ती है। 


रिव्यू की बात की जाए तो कहानी एक बायोपिक से इतर नज़र आती है। जो Mithali Raj पर ना ठहर कर भारतीय महिला क्रिकेट की वस्तु स्थिति को दर्शाती है। जो कई मुद्दों को आड़े हाथों लेती हैं। 


कुछ सीन्स में कहानी काफ़ी हद तक असहज महसूस करवाती है। जिनमें एयरपोर्ट वाला सीन शामिल है। इसके अलावा खुले स्टेडियम में तारों को केन्द्र में रखकर फ़िल्माया गया सीन बेहतर है। 


फ़िल्म के कुछ एक संवादों के अलावा संवाद ज़्यादा प्रभावित नहीं करते है। क्रिकेट के माध्यम से कहानी उन पहलुओं को छूती है जो Mithali Raj के जीवन से दूर नज़र आते हैं। 


लेकिन पूरी फ़िल्म देखने बाद भी कहीं पर भी स्पोर्ट्स ड्रामा और बायोपिक जैसा फील नज़र नहीं आता। अन्य चीजों के चक्कर में मेकर्स क्रिकेट वाले ड्रामे को कमजोर बना देते हैं। लिहाज़ा दर्शक वर्ल्ड कप की हार में भी इमोशनल नहीं होता। 


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यदि दूसरे हाफ़ और ठीक ढंग से मेहनत की जाती तो Shabaash Mithu एक बेहतर बायोपिक हो सकती थी। 


Shabaash Mithu Review in hindi


Taapsee Pannu ने Mithali Raj को ढंग से निभाया है, लेकिन लेखन उन्हें ज़्यादा कुछ करने की इजाज़त नहीं देता, ख़ासकर दूसरे हाफ़ में। 


अन्य कलाकारों में यंग Mithali Raj बनी इनायत और नूरी का अभिनय बेहतर है। वहीं अन्य महिला खिलाड़ी ठीक लगीं हैं। 


कुल मिलाकर यदि आप महिला क्रिकेट के संघर्ष के दौर को जानना चाहते हैं तो Shabaash Mithu देख सकते है लेकिन यदि आप स्पोर्ट्स ड्रामा में दंगल, और महेन्द्र सिंह धोनी अनटोल्ड स्टोरी जैसी फिल्म की आशा रखते हैं तो आप Shabaash Mithu  से निराश हो सकते हैं। 


- सत्यम