इजरायल - फिलस्तीन विवाद - वह सब कुछ जो आपको जानना जरूरी।

वर्तमान दौर में कोरोना महामारी सारे विश्व पर एक बहुत बड़ा संकट बनकर टूट रहा है। वहीं इजरायल और फिलस्तीन के बीच बन रही तनाव की स्थिति एक और नये संकट की ओर इशारा कर रही है। पिछले कुछ दिनों से फिलस्तीनी संगठन 'हमास' और इजरायल डिफेंस फोर्स के बीच मुठभेड़ और दंगों की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। लेकिन इस वर्तमान विवाद की जड़े बहुत हद तक इतिहास से जुड़ी हुई है। पहले यह जानना जरूरी हैं कि इस विवाद की शुरुआत कहां से होती है?


ऐतहासिक परिदृश्य

यहूदी धर्म समुदाय (जिसकी इजरायल में प्रचुरता है) के लिए प्रथम विश्व युद्ध के पहले तक कोई निश्चित देश नहीं था। यह कुछ हिस्सों में जर्मनी में तथा फिलस्तीन में निवास करते थे। प्रथम विश्व युद्ध के समय हिटलर ने इस समुदाय को बड़ी मात्रा में प्रताड़ित किया, जिससे ये समुदाय देश विहीन हो गया।

वहीं दूसरी ओर फिलस्तीन प्रथम विश्व युद्ध तक ऑटोमन या तुर्क साम्राज्य का हिस्सा था। लेकिन पश्चिमी देशों के प्रयासों से के बाद इसे कई टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। फिलस्तीन पर इंग्लैंड का कब्जा हो गया।

वहीं इंग्लैंड  यहूदी समुदाय के बारे में पहले से ही  जानता था कि यह बहुत ही तीक्ष्ण बुद्धि के और धनवान होते हैं। इसीलिए इन्हें प्रथम विश्व युद्ध में अपनी ओर शामिल करने के लिए  1917 में BALFOUR DECLARATION के द्वारा फिलस्तीन को यहूदी समुदाय के लिए 'इजरायल' नामक देश बनाने की घोषणा कर दी। जबकि इंग्लैंड फिलस्तीन को फ्रांस और मक्का के राजा को देने का वादा भी कर चुका था। जिनके सहयोग से इंग्लैंड ने प्रथम विश्व युद्ध में विजय प्राप्त की।

1922 में फिलस्तीन को प्रथम विश्व युद्ध के बाद गठित लीग ऑफ़ नेशन्स ने इंग्लैंड को सौंप दिया। इसके बाद लगातार यहां विवाद की स्थिति बनी रही।

वहीं द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब इंग्लैंड साम्राज्य अपने अस्त की ओर था तब उसने फिलस्तीन UNO को सौंप दिया। इसके बाद UNO ने मील कमीशन के सुझाव पर फिलस्तीन को तीन भागों में बांट दिया। जिसमें यहूदी समुदाय को 44%, वहीं स्थानीय लोगों को 55% बाकी 1% येरुशलम UNO ने स्वयं अपने संरक्षण में रखा। 14 मई 1948 को इजरायल की स्थापना हुई।

येरुशलम धार्मिक रुप से समृद्ध स्थल है। जहां ईसा मसीह की जन्मस्थली बेथलेहेम स्थित है। वहीं मुस्लिम समुदाय का मक्का-मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद स्थित है। इसी मस्जिद में यहूदी समुदाय की पवित्र वेस्टर्न वॉल स्थित है। 


इस गठन के बाद इस क्षेत्र में शांति की अपेक्षा की गई। लेकिन इजरायल को बारी-बारी से कई युद्धों का सामना करना पड़ा।

1. 1948 - 6 अरब देशों ने एक साथ मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया। जिसमें कड़े संघर्ष के बाद इजरायल ने लगभग 80% क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।

2. 1956 स्वेज नहर युद्ध।


3. SIX DAY WAR 1967 - तत्कालीन इजरायली रक्षामंत्री मोसे डयान की आक्रामक नीति से इजरायल ने अरब देशों को मात्र 6 दिन में हरा दिया। साथ ही गोलान हाईट के साथ गाजा पट्टी मिस्त्र से, और वेस्ट बैंक जार्डन से हथिया लिया।

4. YUM KIPPUR WAR 1973

5. लेबनान युद्ध 1982 - इसी युद्ध के फलस्वरूप हमास नामक संगठन की स्थापना हुई जिसे इजरायल ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। 

इन युद्धों के बीच इजरायल ने घोषणा की उसकी सीमायें निश्चित नहीं है बल्कि लगातार बढ़ रही है। और साथ ही 1980 में यरूशलम को अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद टुकड़ों में बचे फिलस्तीन ने भी 2000 में येरुशलम को अपनी राजधानी घोषित किया।


वर्तमान स्थिति में फिलस्तीन केवल 12% हिस्से पर काबिज है। वहीं हमास संगठन आजादी के प्रयासों में लगातार इजरायल के रिहायशी इलाकों में हमलें करता रहता है। बदले में इजरायल उसे कड़ी प्रतिक्रिया देता है।

वर्तमान घटनाक्रम

हाल ही इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने 'शाह जारा' की जमीन को खाली करने का फैसला सुनाया जिसे शुरुआत में इजरायली समुदाय ने अरब देशों से खरीदी। और अभी इस फिलस्तीनियों का कब्जा था। इसी फैसले के मद्देनजर रमजान माह की जुमे की नमाज के बाद अल अक्सा मस्जिद में पथराव की स्थिति बन गई। जिसपर काबू पाने के लिए इजरायल डिफेंस फोर्स को पवित्र स्थल पर प्रवेश करना पड़ा।


यही घटना विश्व भर में मुस्लिम समुदाय को रास नहीं आई। इजरायल पर भी अंतर्राष्ट्रीय दबाव की स्थिति बन गई। इसी बीच हमास संगठन इस मुद्दे में कूद पड़ा है और इजरायल पर लगातार रॉकेट दागना जारी है। वह अब तक 2000 से भी ज्यादा रॉकेट दागे चुका है। यह संगठन ईरान से सहायता प्राप्त 'कसाम' रॉकेट का प्रयोग करता है। जिससे बचाव के लिए इजरायल आयरन डोम शील्ड नामक तकनीक का प्रयोग करता है जो कि रॉकेट को हवा में ही नष्ट कर देती है। जिससे जनहानि का खतरा कम हो जाता  है। परंतु यह आर्थिक स्थिति के अच्छे संकेत नहीं है।शाह जारा नामक स्थान वेस्ट बैंक में स्थित है परंतु यह क्षेत्र गाजा पट्टी की अपेक्षा अधिक शांत रहता है।


अब आगे की स्थिति की बात की जाए तो इजरायल की शक्ति को देखते हुए फिलस्तीन का भविष्य खतरे में है। वहीं इजरायल अपने ग्रेटर इजरायल के विजन को देखते हुए आक्रामक भूमिका में हैं।

और यदि इन सब के बीच भारत के पक्ष की बात की जाए तो भारत का रवैया स्पष्ट नहीं है। जहां एक ओर तकनीक और युद्ध सामग्री के लिए हम इजरायल पर निर्भर है तो दूसरी ओर यह POK विवाद के कारण खुले तौर पर यह भी नहीं कहा जा सकता कि कब्जायें गये क्षेत्र पर पूर्णत: इजरायल का अधिकार है।

- SATYAM SINGHAI

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