लक्षद्वीप विवाद : राजद्रोह या राजनीतिक हथकंडा? (Lakshadweep Sedition Case)


लक्षद्वीप, हिंद महासागर में स्थित दस द्वीपों का समूह है। यहां लगभग 80 हजार जनसंख्या निवास करती है। यह क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से केरल के निकट है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।हाल ही में लागू नये कानून के विरोध के चलते लक्षद्वीप पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले को नया मोड़ देने का काम किया है हाल ही में दायर किए गए राजद्रोह के केस ने।

क्या है देशद्रोह का मामला?

लक्षद्वीप की युवा फिल्मकार आयशा सुल्ताना पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 (B) के तहत राजद्रोह तथा 153(B) के तहत अभद्र भाषा के प्रयोग करने के मामले में लक्षद्वीप BJP प्रमुख अब्दुल्ला कुट्टी ने करावती में FIR दर्ज करवाई। 

आयशा ने हाल ही में मलयाली टीवी डिबेट के दौरान लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल खोड़ा को केन्द्र प्रायोजित "जैविक हथियार " कह दिया था।

आयशा सुल्ताना ने कहा था कि ''जिस तरह चीन ने महामारी फैलाई उसी तरह भारत सरकार ने लक्षद्वीप के लोगों के ख़िलाफ़ जैविक हथियार का इस्तेमाल किया है।"

दरअसल राज्य के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल खोड़ा के द्वारा पिछले दिनों लागू विवादित कानूनों का लक्षद्वीप में बड़े स्तर पर विरोध जारी है। इसी विषय पर चर्चा के लिए इस टीवी डिबेट को प्रसारित किया गया था।

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कौन है Aisha Sultana

आयशा सुल्ताना एक युवा फिल्मकार, मॉडल और सोशल एक्टिविस्ट है, जो लक्षद्वीप से ताल्लुक रखती है।

उन्होंने अपनी सफाई जैविक हथियार वाली टिप्पणी से इनकार नहीं करती है। वे कहती हैं कि उनका संदर्भ केवल प्रफुल्ल पटेल के बारे में था ना कि केन्द्र सरकार के बारे में।

वे अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखती हैं "अपने Facebook पोस्ट में आयशा ने लिखा, 'मेरे मदीने ने मुझे सिखाया है कि यदि तुम युद्ध की स्थिति में हो तब भी अपनी मातृभूमि के साथ खडे़ रहे. ये बात मैं यहां इसलिए कह रही हूं क्योंकि कुछ लोग मुझे देशद्रोही की तरह दिखा रहे हैं, इसकी वजह ये है कि मैंने एक टीवी बहस के दौरान BIO WEAPON शब्द का इस्तेमाल किया. सब ये जानते हैं कि मैंने उन शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ प्रफुल्ल पटेल के लिए किया था।"

प्रफुल्ल पटेल खोड़ा (Praful Khoda Patel) और उनके विवादित निर्णय।

लक्षद्वीप एक केन्द्र शासित प्रदेश है, यहां कोई विधानसभा नहीं है। राज्य की कमान राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के हाथों में होती है। 5 महीने पहले प्रदेश की कमान बीजेपी नेता और गुजरात की मोदी सरकार के गृहमंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल खोड़ा को सौंपी गई।

क्वारंटीन में प्रशासन द्वारा दी गई अनियमित छूट से लक्षद्वीप में कोरोना का तेजी से प्रसार हुआ। 

वहीं हाल में प्रफुल्ल पटेल ने गौमांस यानि बीफ (Beef) को प्रदेश में बैन करने का फैसला किया। वहीं प्रशासन होटलों में शराब परोसने पर लगी पाबंदी को भी हटा दिया।

जबकि लक्षद्वीप की 95 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय से आती हैं। विवादित फैसलों को लेकर प्रदेश की जनता प्रशासन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं।

अन्य निर्णय में नया विकास प्राधिकरण बनाने का प्रावधान किया गया है। जिसके अंतर्गत डेवलपमेंट जोन के नाम पर किसी भी भूमि को अधिग्रहित किया जा सकेगा। जिसका कड़ा विरोध प्रशासन को झेलना पड़ रहा है।

क्या कहता है कानून?

राष्ट्रदोह के मामले में सुप्रीम कोर्ट कहना है ''हमारी राय ये है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए और 505 के मापदंडों के दायरे की व्याख्या की आवश्यक्ता होगी, ख़ासकर इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के समाचार और जानकारियां देने के संदर्भ में...भले ही वो देश के किसी भी हिस्से में चल रही सत्ता के आलोचना में ही क्यों ना हों।'

इस बात का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है कि आयशा सुल्ताना देश कि संप्रभुता को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हैं। उनका इतिहास भी इस बात की पुष्टि नहीं करता है। जो कि इस केस को कमजोर करने में बड़ी वजह बन सकता है।


मामले के संज्ञान में आते ही कई वर्ग आयशा सुल्ताना के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। वहीं कई पक्षों को यह भी मानना है BJP इस राष्ट्रद्रोह कानून का प्रयोग प्रदेश में व्याप्त विरोध को शांत कराने के लिए भी कर रही है।

कांग्रेस नेता Shashi Tharoor ने Tweet कर कहा कि "ऐसे कोई बयान जिसमें हिंसा कि आह्वान ना किया हो। वह देशद्रोह की बुनियाद नहीं रखता। जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट कई बार कर चुका है। यह मामला खारिज किया जाना चाहिए।"

 

BBC HINDI के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल ने बताते है कि ''मैं भी चैनल की उस चर्चा में शामिल था. हम प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के उठाए कदमों पर चर्चा कर रहे थे जब सुल्ताना ने बॉयोवेपन शब्द का इस्तेमाल किया. चर्चा में शामिल बीजेपी के प्रतिनिधि ने सुल्ताना को अपनी बात पूरी तरह से रखने का मौका ही नहीं दिया. सुल्ताना ये समझा ही नहीं पाईं कि उन्होंने ये शब्द क्यों इस्तेमाल किया।''

फ़ैज़ल ने कहा, ''वो प्रफुल खोड़ा पटेल पर लक्षद्वीप के क्वारंटीन नियमों में ढील देने का आरोप लगा रही थी. पटेल के ऐसा करने के बाद ही लक्षद्वीप में कोरोना फैला था. बीजेपी के नेताओं ने इस मौके का इस्तेमाल द्वीप पर डर फैलाने के लिए किया है ताकि प्रदर्शन समाप्त हो जाएं. उनका इरादा यही है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी बयान को देशद्रोह नहीं माना जा सकता है।''

बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजद्रोह कानून के दायरे को सीमित किया है। ताकि इसका प्रयोग राजनीतिक हित साधने तथा विरोध को दबाने के लिए ना किया जा सके।

कुछ आंकड़ों को माना जाए तो 2014 के बाद से राजद्रोह के मामलों में लगभग 133 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जो इस कानून के सियासी प्रयोग की तरफ इशारा करता है।



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