The Whistleblower review in Hindi
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यदि आप मध्यप्रदेश से है या मध्यप्रदेश की राजनीति से जरा भी इत्तेफाक रखते हैं तो आपने व्यापमं घोटाले के बारे में जरूर सुना होगा।
तो इस हफ्ते की सोनी लिव की वेबसीरीज The Whistleblower की पटकथा इसी व्यापमं घोटाले को केन्द्र में रखकर रची गई है। व्हिसलब्लोअर, सिस्टम का वो हिस्सा जो सिस्टम में रहकर ही उसके खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करता है।
यूं तो आपने घोटाले और भ्रष्टाचार से जुड़ी कई कहानियों में करोड़ों रूपयों को इधर से उधर होते देखा होगा। लेकिन इस घोटाले में किस्सा पैसों का ना होकर इलाज के नाम पर लोगों की जान से हो रहे खिलवाड़ का है।
The Whistleblower Cast
नौ एपिसोड्स की यह सीरीज एक लंबी कास्ट को साथ में लेकर चलती है। जिसके केन्द्र में संकेत भदौरिया यानि ऋत्विक भौमिक हैं। सचिन खेडेकर उनके पिता के किरदार में हैं। परीक्षा सरगना के तौर पर रवि किशन मौजूद हैं।
अंकिता शर्मा, रिद्धि कक्कड़ फीमेल लीड में हैं। सोनाली कुलकर्णी, जाकिर हुसैन, हेमंत खेर, भगवान तिवारी कुछ बड़े नामों के तौर पर हैं।
इन सब के बीच में आशीष वर्मा एक ऐसे किरदार में हैं जो आजकल बहुत कम नजर आतें हैं, वे एक सच्चे पत्रकार की भूमिका में हैं। इसके अलावा एक बड़ी कास्ट सहयोगी भूमिका में हैं। सीरीज के क्रिएटर है रीतेश मोदी और इसे डायरेक्ट किया है मनोज पिल्लै ने।
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The Whistleblower Plot
वेबसीरीज मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थापित है। कहानी शुरू होती है संकेत भदौरिया से, जो अपने ही पिता के ही मेडिकल कॉलेज में इंटर्न डॉक्टर हैं। पहले एपिसोड से ही नकली मेडिकल एडमिशन का खेल शुरू हो जाता है। जो आगे चलकर कई अन्य सरकारी नौकरियों को भी अपने भीतर समेट लेता है।
इस फर्जी एडमिशन के धंधे को एक ज्यादा जगहों से अंजाम दिया जा रहा है। जिसमें से एक मोर्चा रवि किशन या जयराज संभाले हुए हैं। कहानी की आधी दूरी तक इसी एडमिशन प्रक्रिया की पृष्ठभूमि को सजाया जाता है।
आधी दूरी तय करने बाद कहानी मर्डर मिस्ट्री, फैमिली ड्रामा और इमोशन से गुत्थम गुत्था होकर ह्रदय परिवर्तन के साथ नई रफ्तार पकड़ती है और अपने अंजाम तक पहुंचती है।
तो क्या व्हिसलब्लोअर की आवाज "वॉर क्राय" बनकर पूरे सिस्टम को जड़ से हिला देगी या बीच रास्ते में सिस्टम के दबाव में दम तोड़ देगी? जबाव आप जानते हैं, लगभग सात घंटे और सोनी लिव।
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The Whistleblower Review
कहानी की बात करें तो कहानी लोकेशन के हिसाब से फिट बैठती है। जिस तरीके से धीरे धीरे 'इंजन, बोगी और प्रॉक्सी' वाले राज से पर्दा उठाया जाता है, वह बेहतर है। सीरीज में क्षेत्रीय भाषा बुंदेलखंडी का भी बेहतर प्रयोग किया गया है।
लेकिन कहानी में जब तक दर्शक पूरी तरह पकड़ बैठाता है, तब तक कहानी पारिवारिक और मर्डर मिस्ट्री बन जाती है। जहां पेस काफी स्लो हो जाता है। इसके बाद मर्डर मिस्ट्री को अनसुलझा छोड़कर कहानी आगे बढ़ जाती है, जिससे दर्शक ठगा सा महसूस कर सकते हैं।
वहीं अच्छे सब प्लॉट्स की कमी भी कहानी के लिए नेगेटिव प्वाइंट साबित होता है। इसके अलावा कहानी को समेटने में भी मेकर्स की जल्दबाजी भी दिखाई पड़ती है।
The Whistleblower Acting Performance
एक्टिंग परफार्मेंस की बात करें तो ऋत्विक भौमिक पूरी कहानी को अपने दम आगे बढ़ाते हैं। उनकी एक्टिंग लाजबाव है। रवि किशन ने भी अपनी छाप छोड़ी है। अंकिता शर्मा और रिद्धि भी बेहतर हैं।
आशीष वर्मा का किरदार बीच में कहीं खो जाता है लेकिन जब जब वे नजर आते हैं एक नई उर्जा का संचार होता है। भगवान सिंह ने ने टीआई रूपेश के किरदार को जबरदस्त पकड़ा है।
लेकिन राइटरों ने सोनाली कुलकर्णी, जाकिर हुसैन और सचिन खेडेकर के किरदारों पर कम मेहनत की है।
लेकिन कुछ एक्टर जिनके असली नाम तक लोग नहीं जानते उनमें, अजहर, दद्दा का राइट हैंड अनुज और मेडीकल स्टूडेंट दिनेश का किरदार स्टैंड आउट करता है।
कुल मिलाकर यदि आप सिस्टम की नाकामियों को बारीकी देखना चाहते हैं और Bandish Bandits से ऋत्विक के प्रशंसक हैं तो कहानी को देखा जा सकता है। यदि आप राजनीति में गहरी रूचि रखते हैं तो आप इसे देखने से रोक नहीं पाएंगे।
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