एंटीलिया उस इमारत का नाम है जहां भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक मुकेश अंबानी का परिवार निवास करता है। इसी घर से 200 मीटर की दूरी पर 25 फ़रवरी 2020 को हरे रंग की स्कार्पियो में 20 जिलेटिन की छड़े (जो कि एक प्रकार की विस्फोटक सामग्री है), अंबानी परिवार के नाम धमकी भरी चिट्ठी तथा इसी परिवार के काफिले से संबंधित कुछ कारों की नंबर प्लेट भी पाई गईं। इस मामले की प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख सचिन वझे को सौंपी गई।
सचिन वझे बहुत समय से नामी तथा विवादास्पद चेहरा रहे हैं। 90 के दशक में जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड का राज़ हुआ करता था। तब शार्प शूटरों का सफाया करने के लिए विशेष क्राइम ब्रांच टीम का गठन किया गया जिसमें सचिन वझे को शामिल किया गया।
सचिन वझे अब तक लगभग 60 एनकाउंटर मामलों में शामिल रहे हैं जिसकी शुरुआत उन्होंने मुन्ना नेपाली नामक अपराधी एनकाउंटर केस की। वहीं 2000 के दशक के शूरूआती सालों में मुंबई में चरमपंथ भी रफ्तार पकड़ने लगा। 2002 में हुए घाटकोपर हमले की जांच सचिन वझे कर रहे थे। इसी सिलसिले में ख्वाजा युनिस को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया। 2003 में पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि ख्वाजा यूनिस उनकी गिरफ्त से भाग निकला है। परंतु बाद में पुष्टि से पता चला की ख़्वाजा यूनिस को फर्जी एनकाउंटर के तहत मार दिया गया है। इस मामले में 2004 में सचिन वझे सहित 14 अन्य को पुलिस सेवा से निलंबित कर दिया गया।
2007 में सचिन वझे ने अपना इस्तीफा दिया जिसे स्वीकार नहीं किया गया। 2008 में सचिन वझे ने बाल ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में शामिल हुए। वह शुरू से ही उद्धव ठाकरे के करीबी रहे।
वहीं जून 2020 में कोरोना महामारी में पुलिस बल की कमी का हवाला देते हुए कमिश्नर परमबीर सिंह ने सचिन वझे समेत कई अन्य निलंबित अधिकारियों को बहाल कर दिया और वझे की नियुक्ति क्राइम ब्रांच में कर दी गई।
शुरुआती जांच से पता चलता है कि स्कार्पियो मनसुख हिरेन नामक शख्स की है जो कि अबतक लापता बताया जा रहा था। उसके द्वारा गाड़ी चोरी होने की रिपोर्ट 17 फ़रवरी को ही दर्ज करवाई जा चुकी था। साथ यह भी पता लगता है कि जिलेटिन की छड़े नागपुर स्थित एक कंपनी से खरीदे गए थे।
इस मामले में राजनीतिक एंगल का प्रवेश तब होता है जब 5 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कॉल रिकार्डिंग के आधार पर मनसुख हिरेन और सचिन वझे आपसी सहयोगी होने का दावा करते है। साथ ही शिवसेना और वझे संबंधों पर सरकार को घेरते हैं। साथ कई बार वह शिवसेना पर सचिन वझे को बचाने के आरोप लगाते रहे हैं।
6 मार्च को मुंबा क्रीक नामक स्थान पर संदिग्ध अवस्था में गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की लाश मिलती है। शुरुआती दौर में यह मामला आत्महत्या का बताया जाता है। लेकिन हिरेन की पत्नी कमला बताती है कि वह SUV कार नंबवर से ही सचिन वझे के पास थी। तथा मनसुख पिछले कुछ दिनों से वझे के साथ ही देर रात घर लौट रहे थे। वह वझे पर मनसुख को फंसाने तथा हत्या करने का आरोपी लगातीं हैं।
10 मार्च को ATS तथा NIA की टीमें केस दर्ज करती है। 13 मार्च को NIA 12 घंटों की पूछताछ के बाद वझे को गिरफ्तार कर लिया जाता है। साथ ही मुबंई पुलिस कमिश्नर ऑफिस से सफेद इनोवा कार को बरामद किया गया जिसका प्रयोग सचिन वझे किया करते थे। तथा इसका प्रयोग जिलेटिन से लदीं SUV को प्लांट करने में भी किया गया था।
15 मार्च को NIA के द्वारा CCTV के आधार पर पुष्टि की जाती है कि सचिन वझे और मनसुख हिरेन 25 फ़रवरी की रात मिले थे। तथा स्कार्पियो या SUV कभी चोरी हुई ही नहीं थी वह सचिन वझे के पास ही थी। तथा वझे द्वारा जांच की आड़ में CCTV के साथ छेड़छाड़ भी की गई।
19 मार्च को ATS मुंबई ने मनसुख हिरेन की किसी भारी वस्तु से हमला कर हत्या की पुष्टि की तथा मौत से पहले मारपीट के सबूत भी मिले।
इन सब के बीच 17 मार्च को मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया। इसके बाद वह 20 मार्च को मुख्यमंत्री समेत कई अन्य को पत्र लिखकर यह आरोप लगाते है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख, सचिन वझे तथा अन्य कई पुलिस अधिकारियों के जरिए फिरौती रैकेट चला रहा है तथा हर माह 100 करोड़ वसूलने को कहा गया है। पत्र सामने आने के बाद महाराष्ट्र के सियासी कूचों में हलचल तेज हो गई। तथा वर्तमान गठबंधन सरकार पर गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग तेज होने लगी।
परमबीर सिंह इसी पत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट गये जहां उन्होंने CBI जांच की मांग की। SC ने केस को मुंबई हाईकोर्ट को सौंप दिया। जहां मामले की CBI जांच के आदेश दिए गए।
आदेश के बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप दिया।
इसके साथ ही मनसुख हिरेन हत्याकांड की जांच NIA तथा एंटीलिया मामले की जांच ATS कर रही है। जो कि अपनी रिपोर्ट सीधे केन्द्र सरकार को सौंपेगी। वहीं सचिन वझे को 23 अप्रैल तक हिरासत में रखा गया है।
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